शिक्षक संकुल बैठकों का उड़ाया जा रहा माखौल, कैसे हो सुधार करते हैं विचार
रिषदीय स्कूलों को निपुण बनाने के लिए जिले में संकुल बैठकों के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। हर माह के तीसरे मंगलवार को ये बैठकें होती हैं। महानिदेशक की ओर से प्रत्येक माह का एजेंडा तय किया जाता है और उसी के अनुसार बैठकों का आयोजन करने का निर्देश जारी होता है लेकिन कहीं पर भी उन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है।
लखनऊ / कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों को निपुण बनाने के लिए जिले में संकुल बैठकों के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। हर माह के तीसरे मंगलवार को ये बैठकें होती हैं। महानिदेशक की ओर से प्रत्येक माह का एजेंडा तय किया जाता है और उसी के अनुसार बैठकों का आयोजन करने का निर्देश जारी होता है लेकिन कहीं पर भी उन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। अगर व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो शिक्षक संकुल मीटिंग से शैक्षिक स्तर में सुधार की कोई भी गुंजाइश नजर नहीं आ रही है बल्कि इससे शैक्षिक माहौल और खराब होता जा रहा है। हालांकि अगर सरकार इन बैठकों को बंद नहीं करना चाह रही है तो इसमें निम्न सुधार करने की आवश्यकता है-
सबसे पहले बैठक का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। यह उद्देश्य शिक्षकों को यह समझने में मदद करेगा कि बैठक में उनसे क्या अपेक्षा है। उद्देश्य स्पष्ट होने से शिक्षक बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेंगे और बैठक से अधिक लाभान्वित होंगे। बैठक का वातावरण ऐसा होना चाहिए जो शिक्षकों को सहज महसूस कराए। इसके लिए बैठक में पर्याप्त प्रकाश, ताजी हवा और आरामदायक बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। बैठक में एक ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिसमें शिक्षक एक-दूसरे से खुलकर बात कर सकें और अपने विचारों को साझा कर सकें। बैठकों में शिक्षकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसके लिए बैठक में विभिन्न प्रकार के गतिविधियों और अभ्यासों का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए चर्चा, प्रश्नोत्तर और समूह कार्य जैसी गतिविधियों से शिक्षकों को बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। बैठकों को लचीला बनाना जरूरी है। इसका मतलब है कि बैठकों में अचानक होने वाले परिवर्तनों के लिए तैयार रहना चाहिए।
उदाहरण के लिए यदि कोई शिक्षक किसी विशेष विषय पर अधिक जानकारी देना चाहता है तो बैठक में उस विषय पर चर्चा के लिए समय निकाला जा सकता है। बैठकों को व्यवहार्य बनाना जरूरी है। इसका मतलब है कि बैठकों का समय और विषय शिक्षकों की आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए। बैठकें बहुत लंबी या बहुत जटिल नहीं होनी चाहिए। बैठकों के बाद कार्यवाही की योजना बनाना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैठकों में चर्चा किए गए विषयों पर अमल किया जाए। कार्यवाही की योजना में यह तय किया जाना चाहिए कि कौन सा कार्य कौन करेगा और वह कार्य कब तक पूरा किया जाएगा। बैठकों के बाद शिक्षकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना जरूरी है।
इससे यह पता चलेगा कि शिक्षक बैठकों से कितने संतुष्ट हैं और बैठकों में क्या सुधार किए जा सकते हैं। प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए बैठक के बाद शिक्षकों से एक सर्वेक्षण लिया जा सकता है या उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की जा सकती है। शिक्षक संकुल की बैठकों को जीवंत और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देना जरूरी है। प्रशिक्षण में शिक्षकों को बैठकों का आयोजन और संचालन करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाता है। तकनीक का उपयोग बैठकों को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए वीडियो, प्रस्तुतियाँ और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करके शिक्षकों को बैठक में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। शिक्षक संकुल की बैठकें नियमित रूप से होनी चाहिए। इससे शिक्षकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिलता है। शिक्षक संकुल की बैठकें शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हैं।