हाथरस गैंगरेप से परेशान आयुष्मान खुराना, उठाया बेटों के परवरिश पर सवाल

उत्तर प्रदेश के हाथरस व बलरामपुर में हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या पर बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना ने अपनी चिंता जाहिर की है.
आयुष्मान खुराना का कहना है कि हमें अपने बेटों की परवरिश अच्छे से करनी होगी.

उत्तर प्रदेश के हाथरस व बलरामपुर में हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या पर बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना ने अपनी चिंता जाहिर की है. आयुष्मान खुराना ने कहा, “हैरान हूं, स्तब्ध हूं और पूरी तरह से हिला हुआ हूं. हाथरस के बाद बलरामपुर से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई है. यह बर्बर, अमानवीय है. इसके लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. यह कब रूकेगा? अपने देश की महिलाओं को सुरक्षा दिलाने के मामले में हम हर रोज विफल हो रहे हैं. हमें महिलाओं को सुरक्षित रखने से भी ज्यादा कुछ करना है. हमें अपने बेटों की परवरिश अच्छे से करनी होगी.”
आयुष्मान हाल ही में यूनीसेफ इंडिया के सेलेब्रिटी एडवोकेट के तौर पर चुने गए हैं, जो बाल हिंसा को खत्म करने की दिशा में अपना योगदान देंगे. आयुष्मान हैशटैगफॉरएवरीचाइल्ड के लिए अधिकारों पर बात करते नजर आएंगे.
इसके साथ ही अभनेत्री अनुष्का शर्मा ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखा है जो कि काफी सुर्खियों में आ गया है. अपने पोस्ट में अनुष्का शर्मा ने इन मामलों में महिला के असुरक्षित होने को लेकर एक पोस्ट किया है. इसी के साथ उन्होंने अपने होने वाले बच्चे के जेंडर पर भी अपनी राय रखी है.

अनुष्का ने डंके की चोट पर कहा कि लड़का होने को समाज की विशेषाधिकार या प्रतिष्ठा समझना गलत है. उन्होंने लिखा, ‘बेशक, लड़की होने से ज्यादा मान और किसी में नहीं है, लेकिन तथ्य यह है कि इस तथाकथित विशेषाधिकार को गलत तरीके से और बहुत ही पुरानी नजरिए के साथ देखा गया है. जिस चीज में विशेषाधिकार है वह इसमें कि आप अपने लड़के को सही परवरिश दें ताकि वह लड़कियों की इज्जत करे. समाज के प्रति पैरेंट होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है. इसलिए इसे विशेषाधिकार ना समझें.’

प्रियंका चोपड़ा ने इंस्टाग्राम स्टोरी में अपनी बात रखते हुए एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा. जिसमें एक्ट्रेस ने बर्बरता की निंदा करते हुए पूछा कि ऐसी घटना बार बार क्यों हो रही है. हमेशा महिलाएं और युवतियां ही क्यों रेप का शिकार होती हैं. ये नफरत क्यों हैं? क्या माता-पिता अपने लड़कों को ऐसे बढ़ा रहें हैं? क्या कानून को चीख सुनाई नहीं देती? और कितनी निर्भया? और कितने साल?
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