अंग्रेजी हुकूमतों के दौरान भी किसान आंदोलन के सामने झुकी थी सरकार, गुलाम नबी आजाद ने PM के सामने सुनाया ये किस्सा

कांग्रेस के सीनियर नेता ने आगे कहा- कई दिनों से पढ़ रहा था किसानों के आंदोलन के बारे में, खासकर अंग्रेजों के समय में और सरकार को झुकना पड़ा. किसानों की ताकत हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी ताकत है. इनसे लड़ाई कर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं और ना पहुंच सकते हैं.

नई दिल्ली,अमन यात्रा : दिल्ली सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. उनके आंदोलन के 70 दिन हो गए. इस बीच बजट सत्र के दौरान भी लगातार तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग हो रही है. राज्यसभा में गुलाम नबी आजीद ने पीएम बेहद दिलचस्प किस्सा किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ सुनाया. उन्होंने किसानों की ताकत का सरकार को एहसास कराते हुए कहा अंग्रेजी हुकूमतों के दौरान भी सरकार को झुकना पड़ा था.

बहुत पुराना है किसानों का आंदोलन

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पहली बार सरकार और किसानों के सामने यह गतिरोध नहीं हुआ है बल्कि इसका इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है.  कभी ये जमींदारी तो कभी सरकार के खिलाफ लड़ते रहे हैं. सरकार को अंग्रेजों के जमाने में झुकना पड़ा.

कांग्रेस के सीनियर नेता ने आगे कहा- कई दिनों से पढ़ रहा था किसानों के आंदोलन के बारे में, खासकर अंग्रेजों के समय में और सरकार को झुकना पड़ा. किसानों की ताकत हिन्दुस्तान में सबसे बड़ी ताकत है. इनसे लड़ाई कर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं और ना पहुंच सकते हैं.

किसानों के आगे तब झुकी थी सरकार

उन्होंने कहा 1900 से 1906 के बीच में तीन कानून यूनाइटेड इंडिया में और ब्रिटिश हुकूमत में हुए थे- पंजाब लैंड कोनियल एक्ट 1900, द्वाबारी एक्ट 1906 और कोलोनियल एक्ट 1906. इन तीन कानूनों में यह प्रावधान था कि जमीन के मालिक ब्रिटिश सरकार होगी और मालिकाना हक से किसानों को वंचित रखा जाएगा.

इन कानूनों में था कि बिल्डिंग बनाने, पेड़ काटने का हक नही होगा. बड़ा बेटा परिवार का बालिग नहीं होगा और अगर वह मर जाएगा तो जमीन छोटे भाई के नाम पर ट्रांसफर नहीं होगी. इस पर बवाल मच गया और 1907 में आंदोलन हुआ. इस आंदोलन का संचालन कर रहे था- सरकार अजीत सिंह, (सरदार भगत सिंह के बड़े भाई) किशन सिंह जी, (भगत सिंह के पिता जी).

पूरे पंजाब में हुआ था आंदोलन

गुलाम नबी आजाद ने कहा- आंदोलन पूरे पंजाब में हुए और उस वक्त बांकेलाल को जंग के एडिटर थे उन्होंने एक गीत बनाया- पगड़ी संभाल जटा पगड़ी संभाल… सारे जग दा पेट भरे तूं, अन्नदाता कहलाए तूं…. ये काफी मशहूर हुआ था.

इस गीत ने एक नया जोश, एक नई जागृति उन किसानों में पैदा की. लाला लाजपत राय ने भी उन किसानों को अपना समर्थन दिया. सरकार ने उस बिल में संशोधन का प्रस्ताव रखा और हल्का सुधार किया. लेकिन, इसके बाद और तेज आंदोलन गुजरांवाला, लाहौर और अन्य जगहों पर हुआ, जिसके बाद नतीजा ये हुआ कि तीनों बिलों को सरकार को वापस करना पड़ा था.

Author: aman yatra

aman yatra

View Comments

Recent Posts

कानपुर देहात: भाई ने पैसों के लिए की मां की हत्या,आरोपी फरार

राजपुर, कानपुर देहात - राजपुर कस्बे में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है।जहाँ एक…

3 hours ago

रनिया के कॉलेज में ‘मिशन शक्ति’ की गूंज: छात्रों को बताया साइबर अपराध से लड़ने का तरीका

कानपुर देहात, रनियां: रनिया के ओंकारेश्वर इंटर कॉलेज में आज का दिन बेहद खास रहा।…

5 hours ago

रनियां: बंद पड़ी फैक्ट्री में मिला अज्ञात शव, हत्या की आशंका

कानपुर देहात: रनियां थाना क्षेत्र के चिटिकपुर में एक बंद पड़ी सरिया फैक्ट्री में आज…

5 hours ago

उर्वरक केंद्रों पर उप कृषि निदेशक का छापा, खाद वितरण में गड़बड़ी पर लगाई फटकार

कानपुर नगर: किसानों को समय पर और सही दाम पर खाद मिले, यह सुनिश्चित करने…

5 hours ago

पुखरायां में छात्र ने लगाई फांसी, पुलिस जांच में जुटी

कानपुर देहात: भोगनीपुर कोतवाली क्षेत्र के पुखरायां कस्बे में आज एक दुखद घटना सामने आई,…

5 hours ago

रसूलाबाद में लाखों की चोरी: घर में सेंधमारी कर उड़ाए जेवर और नगदी

कानपुर देहात: रसूलाबाद थाना क्षेत्र के पम्मापुरा गांव में चोरों ने एक घर को निशाना…

5 hours ago

This website uses cookies.