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लखनऊ / कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का लाभ लेने के लिए फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज लगाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। असाध्य रोग, विकलांगता तथा अन्य फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर भारांक लेने की शिकायतों के बाद सरकार एक्शन में आ गई है। जांच में दोषी पाए जाने पर शिक्षकों पर विधिक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है वहीं बीएसए की भी जिम्मेदारी तय की गई है। सभी बीएसए को इस आशय का प्रमाणपत्र देना होगा कि उन्होंने आवेदनों का परीक्षण ठीक से कर लिया है। अगर दोबारा जांच में शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी पाए गए तो उनके साथ ही बीएसए भी जिम्मेदार होंगे।
शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों में असाध्य रोगियों की भरमार-
परिषदीय शिक्षकों के तबादलों में विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग वेटेज दिए जाने की प्रक्रिया पहले से निर्धारित है। दिव्यांग शिक्षकों, असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों, महिला शिक्षकों, पति-पत्नी दोनों के सेवा में होने की स्थितियों में अलग -अलग वेटेज दिया जाना है। सबसे ज्यादा 20 अंक का वेटेज असाध्य रोगियों के लिए है। ऐसे में असाध्य रोगियों के प्रमाणपत्र शिक्षकों ने भारी संख्या में लगाए हैं। प्रदेश में कुल 2700 शिक्षकों ने असाध्य रोगी का प्रमाणपत्र लगाया है। हालांकि जिला स्तर पर बीएसए इसकी जांच भी करवा रहे हैं। अस्पताल के कागजों के अलावा सीएमओ के स्तर से जांच का प्रमाणपत्र भी लिया जा रहा। डॉक्टरों का एक पैनल जांच भी कर रहा है। इस आधार पर फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले शिक्षकों को प्रक्रिया से बाहर भी किया गया है।
शिकायतों की दोबारा होगी जांच- प्रमाणपत्रों की जांच के लिए ही बीएसए के स्तर से आवेदनों का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के लिए कई बार तारीख भी बढ़ाई जा चुकी है। उसके बावजूद कई जिलों से फर्जी प्रमाणपत्र लगाए जाने की शिकायतें आ रही हैं। इसे देखते हुए ही बीएसए से भी यह प्रमाणपत्र लिया जा रहा है कि उन्होंने ठीक से दस्तावेज का परीक्षण करवा लिया है।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि बीएसए यह प्रमाण पत्र देंगे कि उन्होंने आवेदनों का शासनादेश और परिषद के निर्देशों के आधार पर परीक्षण कर लिया है। उसमें किसी तरह की कोई त्रुटि नहीं है। सूत्रों का यह भी कहना है कि लगातार शिकायतें आने के आधार पर प्रक्रिया को और अधिक नहीं टाला जा सकता इसलिए शासन स्तर से इस बात पर मंथन किया जा रहा है कि शिकायतों के आधार पर बाद में दोबारा जांच करवा ली जाएगी।
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