उज्जैन,अमन यात्रा : संकट के समय जिस नाम को बोलने से रक्षा होती है, प्रभु तुरंत सुनता है, गुरु मददगार होते हैं, उस जयगुरुदेव नाम को जन-जन तक पहुचाने वाले, आने वाले खराब समय से लोगों के जान-माल की रक्षा का उपाय बताने वाले, परीक्षा लेकर देख लो कह कर बार-बार विश्वास दिलाने वाले, इस समय धरती पर प्रभु के- कृपा सिंधु नर रूप हरि यानी नर रूप में स्वयं आये हुए हरि, पूर्ण रूप से समर्थ परम पूज्य परम सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 मई 2022 प्रातः कालीन बेला में तपस्वी भंडारा कार्यक्रम में उज्जैन आश्रम पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप जयगुरुदेव नाम बोलने की आदत डाल लो। खाली रहो तो अंदर में बोलते रहो। बराबर जयगुरुदेव नाम की ध्वनि जब अंदर में भी बोलते रहोगे तो उससे भी ध्यान, भजन में मन रुकेगा। दूसरी बात यह है कि गोस्वामी जी ने कहा है-
कोटि-कोटि मुनि जतन कराहीं।
अंत नाम मुख आवत नाहीं।।
आखिरी वक्त पर प्रभु का नाम मुख से नहीं निकलता। यहां राम का उन्होंने संज्ञा सतपुरुष प्रभु से की है। जब शरीर को खाली कराने के लिए जीवात्मा पर यमराज का जोर पड़ता है या हुकुम होता है कि निकलो, जल्दी करो उस समय मुंह से नाम नहीं निकलता है। लेकिन अगर (लगातार बोलने की) आदत बनी रहेगी तो सब जगह मुंह से जयगुरुदेव ही निकलेगा, चाहे हंसी-खुशी, दु:ख-तकलीफ, बीमारी, शादी-ब्याह कोई भी अवसर हो। स्वभाव, आदत बन जाएगी तो जिसको याद करोगे वह बचाएगा, वह दौड़ेगा। जैसे पूरा परिवार जा रहा है। छोटा बच्चे को ठोकर लगी, लगते ही मम्मी, पापा, भाई जिसको भी बुलायेगा, आवाज लगाएगा, वही घूम करके देखेगा और सबसे पहले वही मदद करेगा। इसलिए यह जो जागृत नाम है इसको जब बोलोगे तो मददगार आ जाएंगे। कौन मददगार होंगे? गुरु का नाम है, गुरु मददगार होंगे। क्योंकि गुरु का सीधा संबंध इस नाम से है। जयगुरुदेव नाम से पूरा सम्बंध बनाये हुए है, जयगुरुदेव नाम उनमें समाया हुआ है।
मुक्ति भी कई तरह की होती है
जैसे कोई सतलोक पहुंच गया, सतलोक वासी हो गया। जहां उनका दरबार लगता है वहां जा तो सकता है लेकिन रहेगा नहीं वहां। लेकिन जो उनके बगल बैठता है वो 24 घंटा वही रहता है, वह सामीप्य मुक्ति होती है। और उनके जैसा जो हो जाता है उसको सारूप मुक्ति और जो उनमें समा जाता है उसको साजुज्ञ मुक्ति कहते हैं। जो उनके लोक में पहुंच जाता है वह सालोक हो जाता है। ऐसे ही समा जाते, एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। जब याद करोगे, तब सहारा देने वाला पहुंच जाएग इसलिए बराबर याद करते रहना ।
जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलते-बोलते ही रास्ते में आओ-जाओ
याद कर लो। मुंह से जब भी निकले, कोई भी काम करना हो तो जयगुरुदेव नाम मुंह से निकल ही जाए। रास्ते में जा रहे हो, अंदर-अंदर गुनगुनाते रहो। कई लोग दोहरने वाले हो तब एक आदमी बोले और बाकी दोहराएं तो बराबर आदत डालो और डलवाओ।
गुरु का ध्यान करके सतसंग में जो बातें लोगों को बताने लग जाओगे तो वक्ता बन जाओगे
बच्चियों! आप तो कहोगे हम क्या प्रचार करें, हम तो कुछ जानते नहीं, घर से निकलते नहीं हैं लेकिन आस-पास में आप जाती हो या आपके यहां कोई आता है तो उनको यही समझाओ। जयगुरुदेव नाम के बारे में ही बता दो, उनको वही रटा दो। बहुत से भाई लोग कहते हो कि हम तो बोल नहीं पाएंगे। अगर बोलने लगोगे तो बोल ले जाओगे। यह बातें जो बताई जा रही हैं, जब गुरु का ध्यान करके बोलने लगोगे तब वह बातें सब याद आ जाएंगी। फिर ऐसा बोलोगे जैसे कोई कोयल और तोता क्या बोलेगा। हिम्मत जब करोगे, बोलने लग जाओगे, वक्ता हो जाओगे। अगर हिम्मत हारे हुए हो तो भी जयगुरुदेव नाम के बारे में तो बता ही सकते हो। इतना भी नहीं बता सकते हो तो आप क्या कर सकते हो? फिर तो इस धरती पर बोझा हो। कहा न-
“यशो न विद्या, तपो न दानम् , ज्ञानम् न शीलम् न गुणो न धर्मा: I
ते मृत्युलोके भूभारभुत्वा मनुष्य रूपेण मृगश्य चरंति।।”
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