कानपुर देहात,अमन यात्रा : प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हजारों शिक्षक पिछले कई वर्षों से प्रमोशन व स्वैच्छिक स्थानांतरण की राह देख रहे हैं। विभाग के उच्चाधिकारी अखबारों में बयान देकर गहरी नींद में सो जाते हैं। प्रदेश के हजारों विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हैं तथा हजारों की संख्या में ऐसे उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमे आरटीई के मुताबिक छात्रों के सापेक्ष अध्यापक नहीं हैं। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। एक तरफ परिषदीय स्कूलों के छात्र किताबों के अभाव की समस्या को झेल रहे हैं वहीं पर्याप्त शिक्षक न होने के कारण केवल खानापूर्ति हो रही है। अधिकारियों का ध्यान सिर्फ निपुण भारत के नाम पर कार्यशालाओं के आयोजन पर है लेकिन क्या बिना किताब, बिना शिक्षक निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
यह सवाल उन अभिवावकों के जहन में है जिनके बच्चे परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे हैं। अगर देखा जाए तो परिषदीय विद्यालयों में पानी के तरीके से पैसा बहाया जा रहा है। आए दिन वाहियात की ट्रेनिंग व बैठकें होती रहती हैं जिनका की पढ़ाई से कोई भी लेना देना नहीं है। प्रशिक्षण व बैठकों के नाम पर खरबों रुपए बर्बाद किया जा रहा है, जो अत्यंत आवश्यक है जिसकी शिक्षक लगातार मांग कर रहे हैं उस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अजीब हाल है इस बेसिक शिक्षा विभाग का जिसने पूरी शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर के रख दिया है।
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