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चकिया: भारी-भरकम कमीशन खोरी के दलदल में डूब चुका है आपूर्ति विभाग, विधिवत तरीके से आपूर्ति विभाग करता है डीलरों से महीने में दो बार वसूली, समय से कमीशन नहीं देने पर करवाई की मिलती है धमकी, नाम न छापने की शर्त पर डीलरों ने बताया अपना दर्द…..

आपूर्ति विभाग में 25 रुपये प्रति क्विंटल के कमीशन पर लूट की छूट

ईमानदारी के कमीशन पर विभागीय भ्रष्टाचार के कमीशन का लगा चुका है ग्रहण

कमीशन दलालों को न देने पर खाद्य निरीक्षकों ने कई दुकानदारों पर की है कार्रवाई

चकिया, चंदौली। गरीबों की राशन वितरण व्यवस्था में गोलमाल सतही तौर पर ही नहीं होता। लेकिन यह अंदर तक बड़े स्तर पर घुला हुआ है। पर्दे पर सामने रहने वाले राशन डीलर तो बदनाम होते हैं। लेकिन उन्हें लूट की छूट विभाग में कमीशनखोरी के जरिए दी जाती है। राशन के कोटा के आधार पर हर दुकान की कमीशन धनराशि तय की जाती है। जो हर महीने लाखों रुपये में तमाम दलालों द्वारा वसूलकर विभाग में पहुंचाई जाती है। यह बाते नाम न छापने के शर्त पर कुछ स्थानीय राशन डीलरों ने बताया। यह भी कहा कि आपूर्ति विभाग से डीलर आजिज हो चुके है। दुकान निलंबित होने के डर से डीलर अपनी बातों को किसी से शेयर नहीं कर पाते हैं। जिसका फायदा आपूर्ति विभाग के आलाधिकारी जमकर उठाते हैं।

कार्डधारकों को राशन बांटने के लिए डीलरों को ब्लाक वार होम डिलेवरी के माध्यम से गोदामों से गेहूं और चावल उपलब्ध कराया जाता है। यह राशन अंत्योदय कार्ड और पात्र गृहस्थी कार्ड में दर्ज यूनिटों के हिसाब से तय होता है। यूं तो लिखा, पढ़ी में कार्डधारकों को वितरण के लिए 70 रुपये प्रति कुंतल कमीशन राशन डीलरों को दिया जाता है। लेकिन ईमानदारी का इस कमीशन पर विभागीय भ्रष्टाचार के कमीशन का ग्रहण लग जाता है। राशन उठान से पहले ही डीलरों से आपूर्ति विभाग द्वारा जहां 500 से 1000 रुपये ले लिए जाते हैं। वितरण के लिए 15 से 25 रुपये कुंतल वसूल किए जाते हैं। इस घाटे की भरपाई और मुनाफा कमाने के लिए डीलर भी हेराफेरी करते हैं। पहले से कमीशन खा चुके विभागीय अफसर शिकायतकर्ताओं से अधिक डीलर की बात को सही ठहराते हैं।

जिले में 865 डीलर, 78 हजार क्विंटल वितरण

जिले में छोटे, बड़े कोटा के डीलर कुल मिलाकर 865 हैं। इनके माध्यम से हर महीने करीब 78 हजार क्विंटल गेहूं और चावल का वितरण किया जाता है। जितना बड़ा राशन कोटा होता है, उतना ही कमीशन की रकम बढ़ जाती है। मोटे तौर पर इस पूरे खेल में 15 लाख से अधिक रुपये हर महीने डीलरों से वसूल किए जाते हैं। जो विभाग में अलग, अलग पदों के हिसाब से बंट जाते हैं। सबसे बड़ी भूमिका क्षेत्रीय खाद्य निरीक्षकों की रहती है।

हिस्सेदारी नहीं तो कार्रवाई

कमीशनखोरी का पूरा चक्र व्यवस्थित तरीके से चलता है। इस सिस्टम से हटकर जो डीलर काम करना चाहता है। उसे कार्रवाई के फंदे में फंसा दिया जाता है। दबी जुबान डीलर बताते हैं कि मांगा गया कमीशन दलालों को न देने पर खाद्य निरीक्षकों ने कई दुकानदारों पर कार्रवाई की है। इसमें जुर्माना, निलंबन और निरस्तीकरण तक शामिल है। यह भी बताते हैं कि कमीशनखोरी का सिस्टम इतना मजबूत है कि कई शिकायतों के बावजूद आज तक किसी अधिकारी, कर्मचारी तो दूर, एक दलाल तक पर कार्रवाई नहीं हुई।

वर्जन

अभी ऐसी कोई शिकायत संज्ञान में नहीं आई है। यदि कहीं किसी डीलर से अवैध रूप से पैसा वसूला जा रहा है तो जांच कराकर संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

देवेन्द्र प्रताप, डीएसओ चंदौली

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