कानपुर, अमन यात्रा। रिश्तों की कसक इंसान ही नहीं बेजुबानों में भी होती है। इंसान जुबान से भावनाएं व्यक्त कर देता है और बेजुबान अपने हावभाव से। चिड़ियाघर में दरियाई घोड़ा पिता-पुत्र के अजब प्रेम की गजब कहानी सुनने वालों की आखें नम कर देती है। पिता-पुत्र की यह जोड़ी खासा चर्चा में है। पहले मां के बाद पिता को भी गोरखपुर भेजने की तैयारी थी लेकिन पिता-पुत्र के लगाव की वजह से चिडि़याघर प्रशासन को फैसला बदलना पड़ा और अब दूसरे नर दरियाई घोड़ा को वहां भेजा जाएगा।
कानपुर के चिडियाघर में दरियाई घोड़ा विष्णु की साथी लक्ष्मी को परिवहन पिंजड़े में फंसाकर गोरखपुर भेज दिया गया। उसकी जुदाई से दु:खी विष्णु सचेत हो गया। उसे परिवहन पिंजड़े के लिए फंसाने की कवायद शुरू हुई लेकिन वह अपने तीन साल के बच्चे जय को छोड़कर जाना नहीं चाहता था लिहाजा पिंजड़े से दूरी बना ली। वह तीन दिन तक लगाए गए पिंजड़े के पास केवल एक बार गया लेकिन उसमें फंसा नहीं।
चैथी बार जब वह उसके पास पहुंचा तो उसका बच्चा जय सचेत हो गया और अपने पिता को बचाने के लिए पिंजड़े में नहीं जाने दिया और खुद उसमें फंस गया। उसे बाहर भेजना नहीं था लिहाजा चिडियाघर प्रशासन ने उसे बमुश्किल निकाला। इसके बाद पिता-पुत्र जब भी दिखे साथ ही थे। चिडियाघर अधिकारियों का मन पसीज गया। उन्होंने दोनों की जोड़ी अलग न करने का फैसला लिया। उनकी जगह दूसरा दरियाई घोड़ा गोरखपुर भेजा जाएगा। अब दूसरे बाड़ों में परिवहन पिंजड़ा रखा गया हैै।
गुस्सैल पिता कभी करता है वार तो कभी बरसाता है प्यार
लक्ष्मी के परिवहन पिंजड़े में फंसने के बाद विष्णु ने अपने बेटे पर गुस्सा जरूर निकालता है लेकिन उस पर जान भी छिड़कता है। शनिवार को उसने अपने बेटे पर झुंझलाकर उस पर हमला कर दिया। ऐसे में चिडिय़ाघर प्रशासन ने उसे दूसरे बाड़े में छोड़ दिया लेकिन पुत्र प्रेम जगा तो वह चिल्लाने लगाा। थक हारकर दोबारा उसे बेटे के पास बाड़े में छोड़ दिया गया। रविवार को वह दिन भर अपने बेटे के साथ पानी में रहा। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कल उसने उस पर हमला किया है इसीलिए चिडियाघर प्रशासन भी उन्हेंं दूर नहीं करना चाहता है।