सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात : जनपद के ग्राम गौरियापुर स्थित मानसतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में चल रहे पंचकुंडीय महायज्ञ और श्रीरामचरितमानस के 39 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर आज तृतीय दिवस में नित्य की भांति श्रीमद्भागवत कथा व प्रवचन की गंगा, यज्ञ में आहुतियों के साथ बालकों के यज्ञोपवीत संस्कार भी संपन्न हुए। आज यज्ञ के तीसरे दिवस में श्रीमद्भागवत व्यास मंच से कथाव्यास और संस्कृत विषय के प्रवक्ता पंडित अनिल त्रिपाठी ने भक्तजनों को कथामृत का पान कराते हुए बताया कि कोई भी अनन्यभाव से परमात्मा का स्मरण करता है तो परमात्मा उसकी किसी न किसी रूप में प्रकट होकर या अप्रकट रूप में अवश्य रक्षा करता है। श्रीत्रिपाठी ने प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाते हुए यह बात कही।
उन्होंने बताया कि प्रह्लाद ने अपने दृढ़ विश्वास के बल से परमात्मा को एक निर्जीव स्तम्भ से प्रकट कर दिया। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इस संसार में प्रत्येक वस्तु नाशवान है, दैत्य हिरण्यकशिपु मृत्यु पर विजय प्राप्त करना चाहता था, इसीलिए उसने ईश्वर से ऐसे वरदान मांगे जिससे मृत्यु की संभावना ही समाप्त हो जाए, लेकिन परमेश्वर ने उन वरदानों की सत्यता को भी प्रमाणित किया और हिरण्यकशिपु का वध करके धर्म की रक्षा की। अंततः वह मृत्यु से बच नहीं सका। प्रत्येक वस्तु का संसार में नष्ट होना तय है, इसलिए मनुष्य को सदैव परोपकार व धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए तभी मानव का कल्याण है। अनिल जी के अलावा पंडित राजेश जी मिश्रा, सतगुरु शरण पांडेय, नरेंद्राचार्य अवस्थी, प्रमोद पांडेय, राहुलकृष्ण मिश्र,अजय अवस्थी आदि अनेक व्यासों ने क्रमशः श्रीमद्भागवत कथाओं का रसपान उपस्थित भक्तजनों को कराया। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के उपरान्त प्रवचन मंच का शुभारंभ हुआ।जिसमें चित्रकूट की विदुषी मानस प्रवाचिका नीलम पांडेय और स्थानीय शिवानी अवस्थी ने भगवान राम के पावन चरित्रों का गुणगान किया।
उधर संगीत के द्वारा सुनील अवस्थी महाभारती और सत्यम शुक्ला ने महाभारत की अद्भुत कथाओं का जनसमाज के समक्ष रोचक प्रस्तुतीकरण किया। राम भरोसे द्विवेदी व कन्हैया शुक्ल इन दोनों विद्वान वक्ताओं ने पंडाल में उपस्थित जनसमुदाय को वेदों और उपनिषदों की अनेक गूढ़ बातों के द्वारा रोमांचित कर दिया। उधर यज्ञशाला में आज यज्ञ के साथ-साथ एक सैकड़ा बालकों के यज्ञोपवीत संस्कार वैदिक विधान से संपन्न हुए।यह कार्य यज्ञाचार्य पंडित राज नारायण त्रिपाठी के अध्यक्षता में उनके सहयोगी आचार्यों गौरव शुक्ला, पंकज शुक्ला, दीपचंद्र, दीपक त्रिपाठी आदि के माध्यम से संपन्न हुआ। जिन बालकों के यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुए उनको आश्रम के महंत श्रीदेवनारायणदासजी महाराज जिनके संयोजन में यह महायज्ञ चल रहा है उन्होंने गायत्री मंत्र की दीक्षा देकर उपदेश देते हुए कहा कि अब आप लोगों का जीवन बदल गया अब पहले की तरह स्वच्छंदता नहीं रहेगी, इस यज्ञोपवीत जिसे ब्रह्मसूत्र कहा जाता है इससे बंध कर जीवन में अनुशासन और संयम का पाठ सीखना पड़ेगा और उसी रास्ते पर दृढ़ता से चलना पड़ेगा।
संयमित जीवन होना चाहिए, इंद्रियों पर अंकुश मन व शरीर में पवित्रता होनी चाहिए, वाणी में सत्यता।इन्हीं मूल्यों पर चलकर आपके इस यज्ञोपवीत धारण की सार्थकता सिद्ध होगी अन्यथा यह केवल धागे बचेंगे। महाराजजी के इस उपदेश को सुनकर सभी ब्रह्मचारियों ने महाराज जी के दिए गए उपदेश का पालन करने का संकल्प प्रकट किया। इन सभी कार्यक्रमों की व्यवस्था आश्रम के संत राघवदास जी महाराज ने संभाली और मंच का संचालन संस्कृत शिक्षक डॉ. राजेशजी शुक्ल ने किया। उपस्थित रहे प्रमुख लोगों में बाबारामकृष्ण दास पुजारीजी, सजल तिवारी, रामबालक तिवारी, गौरियापुर ग्राम प्रधान सरमन तिवारी, अनुज शुक्ला, मोतीलाल कश्यप, दुलारेलाल कुशवाहा, कुलदीप कुशवाहा, मिस्टर द्विवेदी, रामविलास रामायणीजी लाला पांडेय, लाला तिवारी आदि साथ संस्कृत महाविद्यालय गौरियापुर के समस्त आचार्य और विद्यार्थी संपूर्ण व्यवस्था में सहयोग करते रहे।
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