कानपुर देहात

अपने आचरण से वैचारिकी का प्रतिरोध करें: प्रो रत्नम

भारत उत्थान न्यास द्वारा स्थापित (लेखक संघ) के तत्वावधान में राष्ट्रीय ई- संगोष्ठी: "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवादी चिंतकों की भूमिका" का आयोजन गूगल मीट हुआ।

सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात। भारत उत्थान न्यास द्वारा स्थापित (लेखक संघ) के तत्वावधान में राष्ट्रीय ई- संगोष्ठी: “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवादी चिंतकों की भूमिका” का आयोजन गूगल मीट हुआ।

वर्तमान समय में औपनिवेशिक मानसिकता की विमुक्ति के कारण समाज में नकारात्मक शक्तियां वैचन है, जिसका प्रतिरोध अपने आचरण से कर सकारत्मक वातावरण निर्माण में योगदान से जो भारतीय चैतन्य के प्रकाश में हो । चिंतकों की भूमिका वैचारिकी स्थापित करने की दृष्टि से राष्ट्रवादी विचारधारा का लोकव्यापिकरण है। उक्त विचार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो कुमार रत्नम पूर्व सदस्य सचिव भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद भारत सरकार ने कही। मुख्य वक्ता राष्ट्रवादी चिंतक डॉ राजेश्वर उनियाल ने नागरिकों को कर्तव्यों का पालन और सच्चे राष्ट्र प्रहरी बनने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में राष्ट्रवाद की व्याख्या पर जोर देने की वजाय उसे व्यवहार में लाने की अधिक आवश्यकता है। हिंदी समिति विदेश मंत्रालय की सदस्य और संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि डॉ नीलम राठी ने वर्तमान समय और परिस्थितियों को अनुकूल बताता और। देशभक्ती व राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत राष्ट्रवादी लेखकों एवं कवियों के लिए कहा कि वे आत्मगौरव और जीवन-मूल्य युक्त साहित्य का सृजन कर नागरिकों में आत्मविश्वास वृद्धि का कार्य करें। डीवीएस कालेज, कानपुर की विशिष्ट वक्ता डॉ प्रत्यूषवत्सला द्विवेदी ने राष्ट्रवाद और राजनीति की विभिन्नता पर प्रकाश डालते हुए राजनीति को तात्कालिक और राष्ट्रवाद को सदैव प्रासंगिक व चिरकालिक बताया और कहा किभारत में प्राचीनकाल से राष्ट्रवादी चिंतन हो रहा है। यह चिंतन वैदिक काल से लेकर आज तक हुआ इसमें अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया‌।

कुछ राष्ट्रचिंतक जैसे स्वामी दयानंद सरस्वती, विवेकानंद स्वामी व राजा राममोहन राय जी के विचार प्रस्तुत किए गए हैं। पुणे के स्तंभकार श्री पंकज जायसवाल ने वामपंथी कम्यूनिस्टों द्वारा भ्रमात्मक विमर्श और कुतर्कों से सावधान करते हुए भारतीय संस्कृति के मूल तत्व की भावना को आगे रख समाज में कार्य करने की प्रेरणा दी। संगोष्ठी की अध्यक्ष और कानपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर डॉ नवीन मोहिनी निगम ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में इतिहास, संस्कृति और परम्पराओं को राष्ट्रीय चेतना का आधार बताया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का परिचय और स्वागत वक्तव्य न्यास की मंत्री डॉ शशि अग्रवाल व संचालन अध्यक्ष श्री सुजीत कुंतल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मंत्री डॉ कल्पना पांडेय द्वारा संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में देश के 27 राज्यों से कुल 75 विद्वानों और श्रोताओं ने सहभागिता की। यहां न्यास के श्री कृष्ण कुमार जिंदल, डॉ आनंदेश्वरी अवस्थी, डॉ रोचना विश्वनोई, निवेदिता चतुर्वेदी, पूजा श्रीवास्तव, शशि सिंह, सोना अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

Author: AMAN YATRA

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