अब उत्तर प्रदेश में भी हिंदी में होगी मेडिकल की पढ़ाई
मेडिकल की पढ़ाई की चाहत रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र के हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर यह है कि मध्य प्रदेश के बाद अपने यूपी में भी मेडिकल व नर्सिंग की शिक्षा हिंदी में दी जायेगी।
कानपुर देहात- मेडिकल की पढ़ाई की चाहत रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र के हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर यह है कि मध्य प्रदेश के बाद अपने यूपी में भी मेडिकल व नर्सिंग की शिक्षा हिंदी में दी जायेगी। मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरुआत की गई है। वहां एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए हिंदी में एक घंटे की अतिरिक्त क्लास शुरू की गई है। कॉलेज ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से पूरे प्रदेश के मेडिकल छात्रों को जूम के जरिए हिंदी में पढ़ाने की अनुमति मांगी है। स्वीकृति मिलते ही प्रदेश सभी मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस के सभी छात्र हिंदी में पढ़ने लगेंगे।
मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक यूपी के गांवों से आने वाले छात्रों की राह अब अंग्रेजी नहीं रोक पायेगी। प्रदेश में अब छात्र हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे। विभिन्न विषयों की किताबें भी हिंदी में लिखवाई जा रही हैं। कुछ किताबें लिखी भी जा चुकी हैं जिसमें एक मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने लिखी है। हिंदी में पाठ्यक्रम को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पूर्व में प्रोफेसर एनसी प्रजापति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। कमेटी ने प्रथम वर्ष में मध्य प्रदेश में प्रयोग होने वाली किताबों के प्रयोग का सुझाव दिया था। इधर मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में काम शुरू हो चुका है। कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर आरसी गुप्ता बताते हैं कि 15 अगस्त को हमने हिंदी में पहला मेडिकल जर्नल पुनर्नवा प्रकाशित किया है।
फार्मासिस्ट राजेश बाबू कटियार का कहना है कि सरकार की यह बहुत ही बेहतरीन पहल है इस पहल का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं। यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था क्योंकि हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है इसके बाबजूद अपने देश में उच्च स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी में होती है यह खेदजनक है। उनका कहना है एमबीबीएस में अंग्रेजी की वजह से हिंदी माध्यम के छात्रों की बैक अधिक लगती है जबकि उन्हें नालेज अंग्रेजी माध्यम के छात्रों से कहीं ज्यादा होती है लेकिन अंग्रेजी की वजह से वे प्रश्नों का सटीक उत्तर नहीं दे पाते हैं। बहुत से छात्र डॉक्टर बनने की चाहत तो रखते हैं लेकिन अंग्रेजी में पढ़ाई होने की वजह से इसमें प्रवेश लेने से बचते हैं। अगर सभी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई सुचारू रूप से शुरु हो गई तो देश में डॉक्टरों की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। सरकार को एमबीबीएस की सीटों में भी इजाफा करना चाहिए।
प्रभावी साबित हो रही हिंदी माध्यम से पढ़ाई-
हिंदी माध्यम काफी प्रभावी साबित हो रहा है। शिक्षकों के लिए भी छात्रों को समझाना अब काफी सुविधाजनक है। मेडिकल कालेज के शिक्षक बताते हैं कि ऐसे छात्र जिन्हें पहले किसी भी विषय को समझने में काफी वक्त लगता था। कई बार अपनी झिझक के चलते वह कक्षा में सवाल पूछने से बचते थे। उनमें अब प्रभावी ढंग से बदलाव देखने को मिल रहा है। हिंदी माध्यम में पढ़ाने से बच्चों के शैक्षिक स्तर में और अधिक सुधार देखने को मिलेगा।