मालूम हो कि वर्ष 2015 बैच के बीबीजीटीएस मूर्ति को वर्ष 2021 में कानपुर डीसीपी बनाकर भेजा गया था। तब वह लखनऊ अभिसूचना मुख्यालय में एडिशनल एसपी थे। उनकी अनसुनी कहानी में बीबीजीटीएस मूर्ति बचपन से तेलगू बोलने वाले आईपीएस मूर्ति ने ऐसे सीखी हिंदी, बोले अब तो भाषण भी दे दूं। वर्ष 2021 में कानपुर में डीसीपी ट्रैफिक/पश्चिम के पद पर तैनात थे हैदराबाद निवासी बीबीजीटीएस मूर्ति 2015 बैच के आईपीएस अफसर। उन्होंने बताया कि बचपन से ही मैं तेलगू भाषा बोलता, लिखता और समझता था। अंग्रेजी भी बेहतर थी। कभी हिंदी की जरूरत नहीं लगी। मगर 2015 में जब आईपीएस के लिए चयन हुआ और गाजियाबाद में तैनाती मिली तो हिंदी की अहमियत पता चली। शुरू में गूगल ट्रांसलेटर की मदद से काम चलाया लेकिन मन ही मन ठान लिया था कि अब हिंदी सीखनी है। अफसरों ने भी प्रेरित किया। आज मैं हिंदी बोलता हूं, समझता हूं और आसानी से लिखता हूं। अब मैं भाषण भी हिंदी में दे सकता हूं। एक समय था जब हिंदी बोलने में भी डर लगता था। इस पर मुझे गर्व भी है।
कानपुर में आकर और सुदृढ़ हुई थी हिंदी-
मेरी हिंदी में सुधार सबसे अधिक वर्ष 2021 में कानपुर में आकर हुआ। कमिश्नरी लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर सर ने हिंदी बोलने के लिए प्रेरित किया। यही नहीं हिंदी बोलने और लिखने में क्या-क्या गलतियां कर रहा हूं, इसके बारे में भी बताया। इससे सुधार होता गया। अब मैं जो भी निर्देश जारी करता हूं, हिंदी में ही करता हूं। हिंदी के हर अभियान से जुड़ना चाहूंगा।हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए मैं तत्पर हूं। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जो भी अभियान चलेंगे, मैं उनसे जुड़ना चाहूंगा। कानपुर में डीसीपी ट्रैफिक/पश्चिम के पद पर तैनात थे।
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