अब तक नहीं आई कंपोजिट ग्रांट! कैसे होंगे स्कूलों के विकास कार्य
परिषदीय स्कूलों में इस साल स्मार्ट कक्षाएं नहीं बन पाएंगी। स्कूलों को अभी तक कम्पोजिट ग्रांट नहीं मिली है। ऐसे में स्कूलों में रंगाई पोताई, पठन पाठन की सामाग्री की खरीददारी के साथ ही मरम्मत के काम कैसे होंगे।
राजेश कटियार, लखनऊ/कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों में इस साल स्मार्ट कक्षाएं नहीं बन पाएंगी। स्कूलों को अभी तक कम्पोजिट ग्रांट नहीं मिली है। ऐसे में स्कूलों में रंगाई पोताई, पठन पाठन की सामाग्री की खरीददारी के साथ ही मरम्मत के काम कैसे होंगे। पिछले वर्ष भी कुछ प्रधानाध्यापकों ने अपनी तनख्वाह से काम कराया था जिसका भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। प्रधानाध्यापकों का कहना है कि बजट जारी भी हो जाएगा तो उनका और स्कूल में काम कराने वाले वेंडर के पंजीकरण की प्रक्रिया में मार्च गुजर जाएगा। जनपद में 1925 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट स्कूल हैं। सरकार हर साल इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाने समेत दूसरे विकास कार्यों के लिए नामांकित छात्र संख्या के अनुसार कम्पोजिट ग्रांट देती है।
इस आधार पर मिलता है ग्रांट-
1 से 30 तक 10 हजार
31 से 100 तक 25 हजार
101 से 250 तक 50 हजार
251 से 1000 तक 75 हजार
1000 से अधिक एक लाख
बीएसए रिद्धी पाण्डेय ने बताया कि कम्पोजिट ग्रांट की राशि एक हफ्ते में आने की उम्मीद है। इसका भुगतान बीते साल की तर्ज पर पोर्टल से ही किया जाएगा।
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