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राजेश कटियार,कानपुर देहात। सरकार ने अपार आईडी लागू की है जिससे छात्रों की शैक्षणिक जानकारी संभालना आसान हो यह एक 12 अंकीय कोड़ है जो छात्रों की शैक्षणिक प्रोफाइल डिजिटल रूप से स्टोर करेगा। यह आईडी सभी शैक्षणिक कामों जैसे क्रेडिट ट्रांसफर, स्कॉलरशिप और एडमिशन जैसे सभी कार्यों में मददगार साबित होगी। यह सिस्टम शिक्षा को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाएगा। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को 30 नवम्बर 2024 तक बच्चों की अपार आईडी बनानी थी लेकिन अब तक मात्र 6 फीसदी बच्चों की ही आईडी बनी है। इससे लगता है कि प्रधानाध्यापक अपार आईडी बनाने में रूचि नहीं ले रहे हैं। बीएसए ने सम्बंधित खंड शिक्षा अधिकारियों को इसे लेकर कई बार पत्र लिखा है। सरकारी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से बारह तक के बच्चों की यू डायस प्लस पोर्टल पर अपार (ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक अकाउंट रजिस्ट्री )आईडी बननी थी। यह कार्य भारत सरकार की वन नेशन वन आइडी योजना के तहत हो रहा है। बतादें कि योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों के शैक्षिक दस्तावेजों में पारदर्शिता लाना और दस्तावेजों का सुरक्षित डिजिटलीकरण करना है। बेसिक, माध्यमिक और समाज कल्याण के स्कूलों के बच्चों की अपार आईडी बननी है। आधार की तर्ज पर काम करने वाली इस आईडी को अपार नाम दिया गया है अपार आईडी आधार से लिंक होगी इससे सभी स्कूलों के छात्राओं की शैक्षिक प्रगति एवं उपलब्धि की ट्रैकिंग की जा सकेगी।
अपार आईडी बनाने के लिए अभिभावकों से लेनी होगी सहमति-
अपार आईडी बनवाने के लिए छात्र के माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति लेनी होगी। अपार आईडी कार्ड में छात्रों के व्यक्तिगत विवरण जैसे रक्त समूह, वजन, ऊंचाई वगैरह शामिल होते हैं इसलिए स्कूल और कॉलेज छात्रों के नाम अपार आईडी कार्ड के लिए पंजीकरण करने से पहले अभिभावकों की सहमति लेंगे। सहमति पत्र में छात्र का नाम, सहमति देने वाले अभिभावक का नाम और पहचान पत्र की जानकारी देनी होगी। पहचान पत्र के तौर पर आधार, पैन, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। सहमति पत्र में यह भी लिखना होता है कि आप सहमति दे रहे हैं और जानकारी साझा करने के लिए स्वेच्छा से तैयार हैं। सहमति पत्र में यह भी लिखना होता है कि आप समझते हैं कि आपकी साझा की गई जानकारी गोपनीय रखी जाएगी और किसी तीसरे पक्ष को प्रकट नहीं की जाएगी। सहमति पत्र में अभिभावकों को यह भी लिखना होता है कि आप किसी भी समय या किसी भी उद्देश्य के लिए अपनी सहमति वापस ले सकते हैं यही कारण है कि अभी तक मात्र 6 फीसदी बच्चों की ही अपार आईडी बन पाई है।
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