भोगनीपुर, कानपुर देहात। वृंदावन से पधारी कथा वाचिका विशाखा सखी ने अमरौधा ब्लाक के पुरैनी गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस के वध और रुक्मणी विवाह की कथा का वर्णन किया।
कंस ने किए थे 12 यत्न
कथा वाचिका विशाखा सखी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर प्रजा को मुक्ति दिलाई। उन्होंने कहा कि कंस ने अपने दुश्मन कृष्ण का वध करने के लिए 12 यत्न किए, लेकिन 12 यत्नों में हर बार असफल रहा।
अक्रूर को भेजा गोकुल
अंत में उसने अपने चाचा अक्रूर को गोकुल भेज कर कृष्ण को मथुरा लाने के लिए आदेश दिया। जिस पर अकूर जो कंस के मंत्रिमंडल में मंत्री थे, कंस का आदेश मानकर अक्रूर गोकुल कृष्ण को लेने गोकुल पहुंचे और भगवान कृष्ण रथ पर सवार होकर मथुरा आए।
कुबड़ी को दी मुक्ति
कथावाचक विशाखा सखी ने कहा कि मथुरा में घुसते ही एक कुबड़ी मिली। भगवान कृष्ण ने उससे उसका परिचय पूछा। उसने कहा, “भगवान हमें क्षमा कर देना। पिछले जन्म में हम मंथरा थी। हमारे कहने पर ही कैकेयी ने आपको 14 वर्ष के लिए वनवास भेजा था।”
भगवान श्री कृष्ण ने कहा, “आपने यदि कोई आदेश ना करती तो हम केवल राजा बनके रह जाते। हम राम से पुरुषोत्तम बने और भगवान का दर्जा प्राप्त हुआ।” उन्होंने बाय पैर का इशारा करते ही कुबड़ी को मुक्ति कर दी और वह सुंदर नारी बन गई।
कंस का वध
भगवान श्री कृष्ण का मथुरा में मल युद्ध हुआ। जब मल्लयुद्ध में कंस के सभी योद्धा पराजित हो गए तो कंस खुद लड़ने आ गया और भगवान कृष्ण ने उसको पराजित करते हुए कंस का वध कर दिया। प्रजा को मुक्ति मिल गई।
रुक्मणी विवाह की कथा
विशाखा सखी ने कंस वध के बाद रुक्मणी विवाह की भी कथा कही। इस अवसर पर विश्राम सिंह, लक्ष्मी रामाधार, रवि, बलराम, नारायण यादव आदि उपस्थित थे।
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