अयोध्या में श्रीराम जन्म महोत्सव के अवसर पर दिया गया योग का प्रशिक्षण
श्री राम जन्म महोत्सव के तत्वाधान में व्यापक और बहुआयामी कार्यक्रमों की श्रंखला के तहत विवेक सृष्टि अंतर्राष्ट्रीय योग केंद्र अयोध्या धाम द्वारा योगाचार्य डॉ चैतन्य के दिशा निर्देश संचालित किया जा रहे।
अमन यात्रा, अयोध्या। श्री राम जन्म महोत्सव के तत्वाधान में व्यापक और बहुआयामी कार्यक्रमों की श्रंखला के तहत विवेक सृष्टि अंतर्राष्ट्रीय योग केंद्र अयोध्या धाम द्वारा योगाचार्य डॉ. चैतन्य के दिशा निर्देश संचालित किया जा रहे योग महोत्सव का आज पांचवा दिन था। प्रत्येक दिन की भांति आज का सत्र ठीक प्रातः 5:30 बजे रवि तिवारी के प्रार्थना कार्यक्रम से प्रारंभ हुआ। आज की सत्र की संचालन योग शिक्षक सौरभ गुप्ता और मंच पर प्रदर्शन राजपाल और श्रीमती सोनी सिंह के प्रदर्शन के साथ प्रारंभ हुआ।
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इस नव दिवसीय योग महोत्सव में योगासन का पाठ्यक्रम मोरारजी देसाई योग केंद्र दिल्ली द्वारा संचालित पाठ्यक्रम के आधार पर अभ्यास करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे योगाचार्य डॉक्टर चैतन्य ने उपस्थित सत्र को संबोधित करते हुए बताया कि यह एक अद्भुत संयोग है कि अयोध्या धाम में योगाभ्यास कार्यक्रम को लेकर इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति बहुत ही दुर्लभ रही है।योगाभ्यास विभिन्न चरणों में ध्यान हमारे लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। ब्रह्म सूत्र में कहा गया है कि यदि मनुष्य सही से बैठना सीख जाए तो उसे सहज समाधि का अनुभव प्राप्त हो सकता है।
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योग के पांच आवश्यक तत्व बंधा, मुद्रा, प्राणायाम ,आसन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक तत्व हैं। योगाभ्यास में अभ्यास की महत्ता को इंगित करते हुए डॉक्टर चैतन्य ने बताया कि उन्होंने 1964 से अभ्यास आरंभ किया और 1984 में प्रसिद्ध योगाचार्य बीकेएस अयंगर से उनकी मुलाकात हुई और अभ्यास सत्र मैं चर्चा के दौरान उनके द्वारा दिया गया सूत्र नेवर मिस यार प्रैक्टिस इवन फॉर ए डे सदैव उनके अभ्यास के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया। उन्होंने बताया कि योगाभ्यास रोज करने की हमारी आदत होनी चाहिए क्योंकि योग तभी फायदा करता है जब वह रोज और नियमित रूप से अभ्यास में लाया जाए।
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अभ्यास की महत्ता को इंगित करते हुए उन्होंने बताया कि अगर आप रोज योगाभ्यास नहीं करते हैं तो आपका कोई व्यक्तित्व नहीं अपने आप को यह समझाइए की अभ्यास आपके द्वारा जितने भी महत्वपूर्ण कार्य हैं उन सभी कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य सत्र के दौरान रोगी की नई परिभाषा करते हुए डॉक्टर चैतन्य ने बताया आज का मनुष्य बहुत छोटे-छोटे कार्यो के लिए अपना महत्वपूर्ण अभ्यास बंद कर देता है वास्तव में अभ्यास बंद करने के कारण व्यक्ति बीमार नहीं होता बल्कि बीमार व्यक्ति ही अभ्यास बंद करता है क्योंकि योगाभ्यास जैसा ऊर्जावान और प्रेरणादाई कार्य कोई स्वस्थ रहने पर छोड़ ही नहीं सकता। अभ्यास बहुत ही सरल है उस की सबसे पहली सीढ़ी यह है कि व्यक्ति सुबह समय से उठना प्रारंभ कर दें यहीं से उसका अभ्यास प्रारंभ माना जाएगा लेकिन यह ध्यान रहे कि सुबह जल्दी उठने के लिए रात्रि को समय से विश्राम करना अति आवश्यक है नहीं तो इसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
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पांडुचेरी की एक घटना का उल्लेख करते हुए डॉक्टर ने बताया आज का मनुष्य साधना के कार्यों से बहुत जल्दी ही समझौता कर लेता है आज का युवा इस बात को लेकर सजग रहे की स्वाद का सामान आपका स्वास्थ्य खा जाएगा। स्वाध्याय वैराग्य और कर्मशीलता उच्च कोटि के व्यक्तित्व के लिए परम आवश्यक है। कार्यक्रम में आए हुए सभी प्रतिभागियों को शुभकामना देते हुए बचे हुए शेष दिनों में योग का लाभ उठाएं ऐसी अपेक्षा के साथ कार्यक्रम आज का सत्र संपन्न हुआ।