आंचलिक खेलों से परिचित होंगे बच्चे, बन रही बिगबुक
शहरीकरण के दौर में बच्चों को आंचलिक स्तर पर खेले जा रहे पारंपरिक खेलों की जानकारी नहीं है। बच्चे ही नहीं तमाम बड़े भी क्षेत्रीय खेलों से परिचित नहीं है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के खेल खेले जाते हैं। इन खेलों को लिपिबद्ध करने की पहल समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत राज्य शिक्षा संस्थान प्रयागराज ने की है।

- समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य शिक्षा संस्थान में प्रक्रिया शुरू
लखनऊ / कानपुर देहात। शहरीकरण के दौर में बच्चों को आंचलिक स्तर पर खेले जा रहे पारंपरिक खेलों की जानकारी नहीं है। बच्चे ही नहीं तमाम बड़े भी क्षेत्रीय खेलों से परिचित नहीं है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के खेल खेले जाते हैं। इन खेलों को लिपिबद्ध करने की पहल समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत राज्य शिक्षा संस्थान प्रयागराज ने की है। आंचलिक खेलों पर आधारित सचित्र पुस्तक बिगबुक तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह बिगबुक बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी।
प्रदेशभर में जिम्नास्टिक, हैंडबाल, हाकी, जूड़ो, साफ्टबाल, तैराकी, वालीबाल, बैडमिंटन, बास्केटबाल, खो-खो, लान टेनिस, टेबल टेनिस, कबड्डी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, मुक्केबाजी, फुटबाल, थ्रो बाल, कुश्ती, भारोत्तोलन आदि खेल खेले जाते हैं। इन खेलों की प्रतियोगिताएं भी होती है। लेकिन गिल्ली-डंडा, छुपम-छुपाई, कंचा, रस्सा-कसी लकड़ी, पिठ्ठू गरम, लंगड़ी टांग, लफिया, गोट्टी, अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बोल, लब्बा डंगरिया आदि आंचलिक स्तर पर खेले जा रहे खेल विलुप्त हो रहे हैं। गांवों में खेले जाने वाले ये खेल कभी लिपिबद्ध नहीं किए गए हैं। यह खेल क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। ऐसे ही आंचलिक स्तर कई परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है लेकिन वह भी लिपिबद्ध नहीं है। अब इस पर पुस्तक तैयार करने का काम राज्य शिक्षा संस्थान में सात अगस्त 2023 से शुरू हो गया है। इसके लिए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से विशेषज्ञ शिक्षकों को बुलाया गया है। यह शिक्षक चित्र सहित खेलों की विधि और उसके बारे में अन्य जानकारी का संकलन कर बिगबुक तैयार कर रहे हैं। राज्य शिक्षा संस्थान के प्रधानाचार्य नवल किशोर ने बताया कि बिगबुक बनाने का काम 13 अक्टूबर तक चलेगा। उसके बाद तैयार पुस्तक छपाई के लिए भेजी जाएगी। यह सचित्र पुस्तक प्राइमरी की कक्षाओं में पढ़ाई जाएगी। इससे बच्चे पारंपरिक खेलों से परिचित होंगे। पुस्तक का उद्देश्य यह भी है कि बच्चे देशज खेल खेलें और मोबाइल से दूर रहें।
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