आखिर पुरानी पेंशन और नई पेंशन का क्या है गणित
सरकारी कर्मचारियों के समर्थन में कई जगहों पर विपक्षी दलों द्वारा भी पुरानी पेंशन की मांग को समर्थन मिल रहा है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुरानी पेंशन को लेकर शिक्षकों का मंगलवार को धरना प्रदर्शन हुआ
- सरकार क्यों नहीं देना चाहती पुरानी पेंशन
अमन यात्रा ,कानपुर देहात : सरकारी कर्मचारियों के समर्थन में कई जगहों पर विपक्षी दलों द्वारा भी पुरानी पेंशन की मांग को समर्थन मिल रहा है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुरानी पेंशन को लेकर शिक्षकों का मंगलवार को धरना प्रदर्शन हुआ था।अटेवा पेंशन बचाओ मंच पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार मांग कर रहा है। आइए जानते हैं ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम में अंतर।
पुरानी पेंशन स्कीम-
ओल्ड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारी की सैलरी की 50 फीसदी राशि पेंशन प्लस महंगाई भत्ता या सेवाकाल के अंतिम 10 माह की औसत आय पेंशन के तौर पर दी जाती है। पुरानी योजना में पेंशन का सरकारी कर्मी की अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई दर यानी मुद्रास्फीति के डेटा के आधार पर तय होती है। ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन योजना के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन से किसी तरह से कोई भी धनराशि काटने का प्रावधान नहीं था। कम से कम 10 साल सेवा अनिवार्य है। पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान गारंटी वाले सरकार की ट्रेजरी यानी राजकोष के जरिये होता था। पुरानी पेंशन स्कीम में ग्रेच्युटी की रकम 20 लाख रुपये तक की धनराशि सेवानिवृत्ति के बाद मिलती थी। रिटायर कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मौत होने पर परिजनों को पेंशन की राशि मिलती थी। ओल्ड पेंशन स्कीम में जनरल प्राविडेंट फंड का भी प्रावधान होता है। इस पेंशन स्कीम में हर छह माह बाद महंगाई भत्ते को जोड़े जाने का प्रावधान है। सरकार वेतन आयोग लागू करती है तो पेंशन भी उसी हिसाब से बढ़ती जाती है।
न्यू पेंशन स्कीम क्या है-
न्यू पेंशन स्कीहम बीजेपी शासन में वर्ष 2004 से लागू हुई थी। इसमें पेंशन कुल जमा धनराशि और उसके निवेश पर रिटर्न के मुताबिक तय होती है। कर्मचारी का अंशदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का 10 प्रतिशत होता है। राज्य सरकारें भी इतना ही अंशदान देती हैं। 1 मई 2009 से एनपीएस हर जगह सरकारी विभागों में लागू की गई। ओल्ड पेंशन स्कीम में एंप्लायी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एनपीएस में कर्मचारियों की सैलरी से 10þ अंशदान की कटौती की जाती है। पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ का फायदा भी मिलता था लेकिन नई स्कीम में ऐसा नहीं है। ओल्ड पेंशन स्कीम के मुकाबले नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। पुरानी पेंशन योजना एक गारंटीशुदा स्कीम है लेकिन जोखिम के साथ ऊंचे रिटर्न का फायदा भी है। न्यू पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना स्टॉक मार्केट के रिटर्न के आधार पर तय होती है। शेयर बाजार जैसे प्रदर्शन करेगा वैसी ही पेंशन कर्मचारियों को मिलेगी।
अब सौ बात की एक बात यह है कि जब सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं तो सरकार उसे लागू क्यों नहीं करती। सरकार के मुताबिक यदि नई पेंशन ज्यादा अच्छी है तो वे स्वयं पुरानी पेंशन क्यों ले रही है। पुरानी पेंशन का त्यागकर नई पेंशन क्यों नहीं लेने लगती यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।