की जाती है काउंसलिंग
टीम का नेतृत्व कर रहे राजकुमार ने बताया की कप्तान साहब के आदेशानुसार एक विशेष अभियान के तहत उन्हें घर से चली गई बालिकाओं और महिलाओं जिम्मेदारी सौंपी गई है. राजकुमार ने बताया कि उनका और उनकी टीम का काम जिले में दर्ज गुमशुदगी के मामलों में निगरानी रखना है. थाने में दर्ज होने के बाद वो सबसे पहले वादी से मिल मामले से जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी को जुटाते हैं और प्राप्त जानकारी के आधार पर थाना, सर्विलांस और क्राइम टीम से संपर्क कर जांच करते हैं. जरूरत पड़ने पर वह स्वयं छापेमारी और बरामदगी के लिए टीम के साथ विभिन्न स्थानों पर भी जाते हैं. उनका काम यहीं खत्म नहीं होता है. लड़कियों के वापस लौटने के बाद उनकी और उनके परिजनों की पुलिस द्वारा काउंसलिंग भी की जाती है. जिससे, उन्हें किसी प्रकार का भय न रहे और परिवार में दोबारा बसने में उन्हें कोई परेशानी न हो.
16 महीनों में 714 मुकदमे दर्ज
इस अभियान के तहत जुलाई 2019 से लेकर अभी तक 16 महीनों में 714 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें से 626 मामलों में पुलिस ने गुमशुदा लड़कियों की बरामदगी कर उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया है. चौंकाने वाली बात तो ये है कि घर से जाने वाली लड़कियों के मामले में नबालिक युवतियों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है. आंकड़ों पर ध्यान दें तो एक दिन में लगभग दो गुमशुदगी के हिसाब से मुकदमें दर्ज हुए हैं. इतनी बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज होने के बाद भी मामले के सफलतापूर्वक अनावरण में पुलिस टीम की भूमिका सराहनीय रही है.
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