राजेश कटियार, कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों को पकड़ने के लिए शिक्षकों का थंब वेरिफिकेशन किया जाएगा। महानिदेशक कंचन वर्मा द्वारा मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध बेसिक शिक्षा विभाग के समस्त कार्मिकों के आधार ऑथेंटिकेशन का कार्य जल्द से जल्द पूर्ण करने के सभी जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
समस्त अधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों की मानव सम्पदा पोर्टल पर अंकित नाम की स्पेलिंग के अनुसार ही उनका नाम उनके आधार कार्ड में अंकित होना चाहिए। अगर उनके नाम की स्पेलिंग में भिन्नता है तो वह उसे तुरंत दुरस्त कराकर आधार ऑथेंटिकेशन का कार्य पूर्ण कराएं। भिन्नता पाए जाने या आधार ऑथेंटिकेशन पूर्ण न होने वाले कार्मिक का वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा जिसके लिए वह स्वयं उत्तरदाई होगा।
बताते चले मानव संपदा पोर्टल पर सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों का डाटा फीड कराया जा चुका है। बेसिक शिक्षा विभाग के फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए चरणबद्ध ढंग से सत्यापन करवाया जा रहा है। संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय से दोबारा करवाया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
तीन तरह से होता है फर्जीवाड़ा- सरकारी स्कूलों में अमूमन तीन तरीकों से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाता है। पहली श्रेणी में फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी हासिल करना, दूसरी श्रेणी में किसी अन्य के प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करना जैसे अनामिका प्रकरण और तीसरी श्रेणी में नौकरी किसी की होती है और पढ़ाता कोई और है यानी प्रॉक्सी शिक्षक। अनामिका प्रकरण के बाद इस तरह की तमाम शिकायतें आ रही हैं।
जांच के पहले चरण पर काम शुरू- पहले चरण में मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों की सर्विस बुक व अन्य प्रमाणपत्र अपलोड कराए गए हैं। 99 फीसदी शिक्षकों के प्रमाणपत्र अपलोड कर दिए गए हैं। एक फीसदी में क्या गड़बड़ी है इस मामले में कार्यवाही की जा रही हैं। वहीं प्रमाणपत्रों के अपलोड करने के बाद अब शिक्षकों से यह प्रमाणपत्र भी लिया गया है कि उनके द्वारा भरी गई जानकारी व अपलोड किए गए दस्तावेज पूर्णतया सत्य वा सही हैं इसमें पाई गई गड़बड़ी की सारी जिम्मेदारी शिक्षक की होगी। वहीं इस पोर्टल पर आधार नंबर भी लिंक हो रहा है। मानव संपदा पोर्टल पर अंकित नाम की स्पेलिंग आधार कार्ड की स्पेलिंग से मैच करनी चाहिए। एक बार सभी जिलों का डाटा सिंक्रोनाइज होगा तो इससे एक साथ सामने आ जाएगा कि पूरे प्रदेश में कितने शिक्षक दूसरी श्रेणी वाले हैं यानी एक ही प्रमाणपत्र पर कितने लोग नौकरी कर रहे हैं पकड़ में आ जाएंगे।
संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का होगा दोबारा सत्यापन-
इसके बाद ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का पुन: सत्यापन किया जाएगा यानी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को देखा जाएगा और अगर वे संदिग्ध दिखते हैं तो उन्हें विवि या बोर्ड में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस काम को जल्द पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग से भी बात कर ली है और पूरे प्रदेश में ऐसे नामों की सूची बनाकर एक साथ भेजा जाएगा ताकि सत्यापन में समय न लग सके।
प्रॉक्सी शिक्षकों पर भी कसेगी नकेल-
आगामी सत्र से विभाग टैबलेट के जरिए बायोमेट्रिक हाजिरी लेने जा रहा है। इसके जरिए प्रॉक्सी शिक्षकों पर भी नकेल कसेगी। वहीं घर बैठे तनख्वाह उठाने वाले शिक्षकों पर लगाम लगेगी। हर जिले में कुछेक ऐसे शिक्षक हैं जो स्कूल जाते ही नहीं या फिर सांठ गांठ कर प्रॉक्सी शिक्षक को तैनात करा देते हैं। ऐसे शिक्षकों की वजह से पूरा विभाग बदनाम हो जाता है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने बताया कि शिक्षकों एवं अन्य कार्मिकों के आधार ऑथेंटिकेशन के लिए आदेश प्राप्त हुआ है जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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