उत्तरप्रदेशकानपुरफ्रेश न्यूज

आपातकाल में कठिन दौर से गुजरी पत्रकारिताः नरेन्द्र भदौरिया

भारतीय पत्रकारिता के लिये आपातकाल का समय सबसे बुरा रहा, शाम को सम्पादक की पेशी होती और सुबह अखबार बन्द किये जाने की घोषणा सरकार के द्वारा हो जाती थी।

Story Highlights
  • सीएसजेएमयू के पत्रकारिता विभाग में आपातकाल की 47वीं वर्षी पर ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित
कानपुर। भारतीय पत्रकारिता के लिये आपातकाल का समय सबसे बुरा रहा, शाम को सम्पादक की पेशी होती और सुबह अखबार बन्द किये जाने की घोषणा सरकार के द्वारा हो जाती थी। यह बात शनिवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आपातकाल की 47वीं वर्षी पर आयोजित ‘‘आपातकाल और भारतीय पत्रकारिता’’ विषयक विचार गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भदौरिया ने कही। विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े श्री भदौरिया ने अपने संबोधन में आपातकाल के उस दौर का वर्णन किया, जिसमें पत्रकारों की स्वतंत्रता को छीना गया, अखबारों के दफ्तरों में सरकारी ताला लगाने के साथ-साथ बिजली कनेक्शन तक तत्कालीन सरकार ने कटवा दिये। उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार द्वारा किये जा रहे अत्याचार का विरोध करने पर कई लोगों को जेल तो कईयों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आपातकाल को जानना बहुत जरूरी है, जिससे नयी पीढ़ी के लोग यह सुनिश्चित कर पाये कि कोई भी शक्ति देश की अखंडता को चुनौती न दे पाए। कार्यक्रम संयोजक डॉ दिवाकर अवस्थी ने कहा कि मातृभूमि देश का एकमात्र अखबार था, जिसने 26 जून को प्रकाशित अपने संस्करण में न केवल लोगों को आपातकाल के बारे में बताया, बल्कि आपातकाल के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गिरफ्तारी और विरोध के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि उस दौरान तत्कालीन सरकार से अलग राय रखने वाले अखबारों और पत्रिकाओं का विज्ञापन भी बन्द कर दिया गया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र कुमार पाण्डेय ने किया। इस दौरान डॉ. जितेन्द्र डबराल, डॉ. रश्मि गौतम, डॉ ओम शंकर गुप्ता, सागर कनौजिया, प्रेम किशोर शुक्ला एवं छात्र-छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से मौजूद रहे।
aman yatra
Author: aman yatra


Discover more from अमन यात्रा

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Articles

Leave a Reply

AD
Back to top button

Discover more from अमन यात्रा

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading