आमजन से जुड़े सदाबहार कार्य क्षेत्र
यह दुनिया बहुत बड़ी है और इसके असंख्य क्षेत्रों में हरेक में बहुत से आयाम हैं। कैरियर सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। इसलिए जरूरी है कि कैरियर प्लानिंग सही समय पर शुरू कर दी जाए और सभी क्षेत्रों में से अपनी पसंद का क्षेत्र चुनकर उसमें प्रयास किया जाए।
यह दुनिया बहुत बड़ी है और इसके असंख्य क्षेत्रों में हरेक में बहुत से आयाम हैं। कैरियर सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। इसलिए जरूरी है कि कैरियर प्लानिंग सही समय पर शुरू कर दी जाए और सभी क्षेत्रों में से अपनी पसंद का क्षेत्र चुनकर उसमें प्रयास किया जाए। आने वाले समय में भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कैरियर खूब चमकाया जा सकता है। जानिए, उनमें से कुछ के बारे में।
नर्सिंग सेक्टर
नर्सिंग को आज के दौर में एक बेहतर कैरियर विकल्प माना जाता है और आगे इसमें मौकों की भरमार होगी। इससे जुड़े कोर्स ज्यादा महंगे नहीं होते हैं। बस कॉलेज का चयन करते समय यह ध्यान में रखना होगा कि वह कॉलेज इंडियन नर्सिंग काउंसिल (एनआईसी) से मान्यता प्राप्त रहे। 12वीं पास करने के बाद आप इस सेक्टर में जा सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स में ऑक्जिलरी नर्सिंग एंड मिडवाइफ (एएनएम) और जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ (जीएनएम) जैसे कोर्स हैं। ग्रेजुएट कोर्स की बात करें तो बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग (बीएससी बेसिक), बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग (बीएससी पोस्ट बेसिक) और बैचलर ऑफ साइंस इन नर्सिंग (बीएससी डिस्टेंस) जैसी डिग्रियां हैं। बीएससी की डिग्री वाले उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स के लिए मास्टर ऑफ साइंस इन नर्सिंग का कोर्स कर सकते हैं। शैक्षिक रूप से योग्य होने के बाद निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र में नौकरी मिल सकती है। आपको अपनी पसंद के कोर्स के हिसाब से स्टाफ नर्स, इंडस्ट्रियल नर्स या फिर मिलिट्री नर्स की नौकरी मिल सकती है। दो लाख रुपये सालाना सैलरी पैकेज से शुरू होकर अनुभव और स्किल्स बढ़ने के साथ कमाई भी बढ़ती जाती है।
प्राइमरी शिक्षक
अध्यापक बनकर आप अपना ज्ञान दूसरों में बांट सकते हैं और स्वयं का ज्ञान बढ़ा भी सकते हैं। एक अच्छा शिक्षक विद्यार्थी के जीवन की दशा और दिशा दोनों ही बदल देते हैं। शिक्षक कई चरणों में बन सकते हैं। कुछ लोग प्राइमरी स्कूल तो कुछ लोग हायर सेकेंडरी स्कूल शिक्षक बनते हैं। आप भी प्राइमरी स्कूल के टीचर बनना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पास कुछ योग्यता होनी भी बहुत जरूरी है। इसके बाद प्राइमरी टीचर बनने वाला व्यक्ति 1 से 5वीं कक्षा तक, टीजीटी 6 से 10वीं कक्षा और पीजीटी 11 से 12वीं कक्षा तक पढ़ा सकता है। ग्रेजुएशन करने के बाद बीएड की डिग्री प्राप्त करना आवश्यक है। सरकारी टीचर बनने के लिए बीएड जरूरी है। बीएड का कोर्स 2 साल का होता है। सरकारी प्राइमरी स्कूल टीचर बनने के लिए बीएड के बाद टेट (टीईटी) के एग्जाम में सफलता प्राप्त करना जरूरी होता है क्योंकि टेट परीक्षा क्लियर किये बिना आप प्राइमरी शिक्षक नहीं बन सकते है। उसके बाद राज्य सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती निकाली जाती है। टेट मैरिट के आधार पर भर्तियां नहीं की जाती हैं, शिक्षक की भर्ती निकाली जाती है उसके बाद लिखित परीक्षा के आधार पर चयन किया जाता है। पे स्केल 9300 से 35400 रुपये तक, इसके साथ ही कई भत्ते भी मिलते हैं।
मनोवैज्ञानिक
समाज में बढ़ रहे अपराधों का मुख्य कारण व्यक्तिगत एवं व्यक्तित्व से संबंधित समस्याएं रहती हैं जिसके निपटारे और रोकथाम में एक मनोवैज्ञानिक अथवा मनोचिकित्सक की भूमिका खास हो सकती है। महानगरीय जीवन पर दिनोदिन अधिकाधिक पड़ रहे दबाव एवं बढ़ते तनाव के कारण क्लीनिकल मनोवैज्ञानिकों की मांग कई गुना बढ़ चुकी है। लगभग डेढ़ अरब आबादी वाले इस देश में इस कैरियर की संभावनाओं में काफी वृद्धि हुई है। अगर आप स्वभाव से मिलनसार और धैर्यवान हैं तो आपके लिए इस सेक्टर में बहुत मौके हैं। मनोविज्ञान को बारहवीं से ही एक विषय के रूप में पढ़ा जा सकता है। विश्वविद्यालय स्तर पर आप मनोविज्ञान में स्नातक, स्नातकोत्तर, एमफिल, पीएचडी कर सकते हैं। कुछ विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर इस विषय में विशेष पाठ्यक्रम चलाये जाते हैं। अनेक संस्थानों में बाल मार्गदर्शन और परामर्श सेवा में एक वर्ष का डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाया जाता है। इसमें प्रवेश के लिए कुछ संस्थान प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं तो कुछ संस्थान मेरिट के आधार पर प्रवेश देते हैं। योग्यता पाने के बाद हॉस्पिटल, काउंसलिंग क्षेत्र, स्कूल, सुधार गृह, नशा मुक्ति केंद्र, परिवार परामर्श केंद्र, इंडस्ट्रीज का एचआर डिपार्टमेंट, गैर सरकारी संगठन, वूमन एंड चाइल्ड सेल, मेंटल हेल्थ सेंटर, क्लिनिकल, स्पेशल एजूकेशन आदि में अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा औद्योगिक तथा खेल मनोविज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी अवसरों की उपलब्धता हो रही है।
-कुमार गौरव अजीतेन्दु-