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पैग़म्बरे आज़म की विलादत पर हुआ जश्न-ए-चिरागा, मनाई खुशियाँ
काजी-ए-शहर क़ारी शमसुद्दीन रहमानी और बड़ी मस्जिद के इमाम हाफिज इरशाद अशरफी ने अपने हाथों से झण्डा फहराया और फिर तकिया मस्जिद के इमाम हाजी मुजीब अल्लामा ने झण्डे का तराना व सलातो सलाम पढ़ा उसके बाद फ़ातिहा हुई और लोगों को लंगर बांटा गया।
मजहबे इस्लाम का ये मुबारक महीना रबी-उल-अव्वल शरीफ है जिसकी आमद होते ही हर जानिब खुशियाँ ही खुशियाँ नज़र आती है। इस महीने की 12 तारीख को पैगम्बरे आज़म सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम सुबह सादिक यानी(भोर होने से पहले) उस सुहाने वक्त में इस दुनिया में तशरीफ लाए आप की विलादत(जन्मदिवस) को आपके उम्मती बड़ी ही खुशियों के साथ मनाते हैं। आज सुबह 4 बजे बड़ी मस्जिद(जुल्हैठी) के मुख्य गेट से जश्न-ए-चिरागा निकाला गया और लोगों ने मोमबत्तियां व दीए जलाए। सुबह फजिर की नमाज अदा करने के बाद 6 बजे बड़ी मस्जिद के मुख्य द्वार पर इस्लामी परचम(झण्डा) फहराया गया जिसमें काजी-ए-शहर क़ारी शमसुद्दीन रहमानी और बड़ी मस्जिद के इमाम हाफिज इरशाद अशरफी ने अपने हाथों से झण्डा फहराया और फिर तकिया मस्जिद के इमाम हाजी मुजीब अल्लामा ने झण्डे का तराना व सलातो सलाम पढ़ा उसके बाद फ़ातिहा हुई और लोगों को लंगर बांटा गया।
जश्ने-ए-चिरागा में बड़ी मस्जिद के इमाम हाफिज इरशाद अशरफी इंतजामकार हाजी अब्दुल मुजीब अल्लामा, हाफिज कलाम, हाफिज रफ़ीक़, हाफिज रहमत रज़ा, हाफिज नाज़िम, हाफिज इरफ़ान, जमाल बाबा समेत काफी तादाद में लोग शामिल हुए जिसमें नात खां गुलाम वारिस ने बेहतरीन अंदाज में नात व सलातो सलाम पेश किया। कोरोना वायरस की वजह से इस बार दोपहर में निकलने वाला जुलूस-ए-मोहम्मदी को कैंसिल कर दिया गया, सभी लोगों ने हुकूमत का सहयोग करने पर अमल किया।