लखनऊ/कानपुर देहात। नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्रदेश में अब भी 55 हजार छात्रों का प्रवेश नहीं हुआ है। जिलों के बाद अब बेसिक शिक्षा निदेशालय प्रवेश न देने वाले निजी स्कूलों पर सख्ती करेगा। हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया गया है कि विद्यालयों को नोटिस जारी कर प्रवेश न लेने का कारण पूछा जाए। इसके बाद आगे की कार्यवाही होगी। इस बार चार चरणों में की गई आवेदन प्रक्रिया में 1.85 लाख बच्चों को सीटें अलॉट की गईं। इसमें से अब तक 1.30 लाख बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित हुआ है जबकि 55 हजार बच्चों के प्रवेश अभी भी नहीं हुए हैं। एक जुलाई से नए सत्र में पढ़ाई शुरू होगी। इससे पहले अब निदेशालय की ओर से निजी स्कूलों पर इन बच्चों के प्रवेश के लिए सख्ती की जा रही है। हाल में हुई समीक्षा बैठक में निर्देश दिया गया कि इन स्कूलों से प्रवेश न लेने का कारण पूछा जाएगा। इसमें उचित कारण न मिलने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की संस्तुति की जाएगी। जानकारी के अनुसार कुछ जिलों में ऐसे विद्यालयों की मान्यता समाप्त करने की सिफारिश भी की गई है।
कम प्रवेश वाले दस जिले-
मुरादाबाद में 33 फीसदी, गाजियाबाद में 52 फीसदी, मेरठ में 53 फीसदी, महराजगंज में 64 फीसदी, कौशांबी में 64 फीसदी, अयोध्या में 66 फीसदी, गौतमबुद्ध नगर में 63 फीसदी, कानपुर नगर में 48 फीसदी, कानपुर देहात में 65 फीसदी, कन्नौज में 59 फीसदी प्रवेश आवंटित सीटों के सापेक्ष हुए हैं।
बेहतर प्रवेश वाले दस जिले-
बहराइच में 90 फीसदी, बलरामपुर में 92 फीसदी, गोंडा में 94 फीसदी, श्रावस्ती में 91 फीसदी, देवरिया में 90 फीसदी, फिरोजाबाद में 93 फीसदी, हरदोई में 91 फीसदी, ललितपुर में 92 फीसदी, प्रतापगढ़ में 92 फीसदी, पीलीभीत में 89 फीसदी प्रवेश आवंटित सीटों के सापेक्ष हुए हैं।
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