इनकम टैक्स फॉर्म भरने की महत्वपूर्ण जानकारी
आयकर वित्तीय वर्ष 2022-23 चल रहा है जिसमें आपको विनियोग, आयकर छूट एवं अन्य आवश्यक घोषणा अपने नियोक्ता को उपलब्ध करवाकर अंतिम कर देयता निर्धारित करनी है लेकिन आयकर सम्बन्धी अनेक बिन्दुओं पर आपकी जानकारी स्पष्ट नहीं होने से भ्रम की स्थिति रहती है हालांकि आयकर कानून बहुत व्यापक है उसकी संक्षिप्त में व्याख्या करना कठिन कार्य है फिर भी यह प्रयास किया गया है कि वेतन से आय शीर्षक के अन्तर्गत प्रमुख बिन्दुओं पर आपको जानकारी उपलब्ध हो सके।
लखनऊ / कानपुर देहात। आयकर वित्तीय वर्ष 2022-23 चल रहा है जिसमें आपको विनियोग, आयकर छूट एवं अन्य आवश्यक घोषणा अपने नियोक्ता को उपलब्ध करवाकर अंतिम कर देयता निर्धारित करनी है लेकिन आयकर सम्बन्धी अनेक बिन्दुओं पर आपकी जानकारी स्पष्ट नहीं होने से भ्रम की स्थिति रहती है हालांकि आयकर कानून बहुत व्यापक है उसकी संक्षिप्त में व्याख्या करना कठिन कार्य है फिर भी यह प्रयास किया गया है कि वेतन से आय शीर्षक के अन्तर्गत प्रमुख बिन्दुओं पर आपको जानकारी उपलब्ध हो सके। प्रस्तुतीकरण में पूर्ण सावधानी बरती गई है कि आपकी प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध करा सके लेकिन फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि अंतिम निर्णय अपने प्रमाणित कर सलाहकार से राय के उपरांत ही ले।
वित्तीय वर्ष से अभिप्राय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि होती है तथा इस दौरान प्राप्त आय इस वित्तीय वर्ष की मानी जाती है। चूंकि किसी वर्ष की आय पर आयकर का निर्धारण वर्ष समाप्ति के पश्चात अगले वर्ष किया जाता है। अतः अगले वर्ष को कर निर्धारण वर्ष कहा जाता है इसलिये जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है उस वर्ष को गतवर्ष के रूप में जाना जाता है। सामान्यतः माह मार्च का वेतन 1 अप्रैल को तथा आगामी वर्ष के फरवरी माह का वेतन मार्च को प्राप्त होता है इसलिये मार्च से आगामी वर्ष की फरवरी माह तक के वेतन को आयकर विवरणिका में शामिल किया जाता है फिर भी वेतन की गणना करने के लिये यह देखना होगा कि वेतन कब उपार्जित हुआ है अथवा कब प्राप्त हुआ है इन दोनों परिस्थितियों में जो भी पहले हो के अनुसार कर योग्य माना जाता है। निम्न बिन्दूओं से आप स्थिति को अधिक स्पष्ट समझ सकते हैं।
प्राप्त वेतन-
यदि गतवर्ष में कोई पिछला वेतन प्राप्त हुआ है तथा उस पर सम्बन्धित वर्ष में उपार्जन के आधार पर कर नहीं लग चुका है तो उस पर प्राप्ति के आधार पर कर लगाया जायेगा।
उपार्जित वेतन-
यदि गतवर्ष में उपार्जित वेतन का भुगतान नहीं हुआ है तो उस पर गतवर्ष में ही कर लगाया जायेगा।
एडवांस वेतन-
यदि किसी कर्मचारी को नियोक्ता ने अग्रिम वेतन दिया है तो वह प्राप्ति वाले वर्ष में टैक्स देय होगा।
एरियर का भुगतान-
यदि गतवर्ष में कोई एरियर प्राप्त हुआ है तो वह भी गतवर्ष में कर योग्य होगा बशर्ते वह राशि उपार्जित होने वाले वर्ष में पहले ही कर योग्य न की गई हो किन्तु एरियर पर धारा 89 की छूट का दावा किया जा सकता है।
बोनस, कमीशन, फीस इत्यादि-
यदि कर्मचारी को अपने नियोक्ता से कोई बोनस, कमीशन अथवा फीस प्राप्त होती है तो वह जिस वर्ष में प्राप्त होगी वह वेतन के अन्तर्गत ही प्राप्ति वर्ष में कर योग्य होगी।
पेंशन-
सभी राजकीय कर्मचारियों एवं गैर राजकीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत प्राप्त होने वाली मासिक पेंशन पूर्णतः कर योग्य होगी। यह देय होने वाले वर्ष में कर योग्य होगी।
अवकाश के बदले नकदीकरण-
एक सरकारी कर्मचारी को राजसेवा में रहते हुए यदि अवकाश के बदले कोई नकदीकरण होता है तो पूर्णत: कर योग्य होगा तथा यदि सेवानिवृत्ति पर राजकीय कर्मचारी अवकाश के बदले नकदीकरण प्राप्त होता है तो वह राशि पूर्णतयः कर मुक्त होगी।
सकल वेतन की गणना :
वेतन-
वेतन में मूल वेतन, मंहगाई वेतन, ग्रेड-पे, अवकाश वेतन, अग्रिम वेतन, वकाया वेतन, नवीन पेंशन योजना में सरकार का अंशदान, बोनस, कमीशन, फीस, विशेष वेतन, निर्वाह भत्ता आदि सम्मिलित किये जाते है।
कर योग्य भत्ते-
महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, सीसीए, प्रतिनियुक्ति भत्ता, अंतरिम राहत, एनपीए, नौकर भत्ता, मेडिकल भत्ता, परियोजना भत्ता ओवर टाईम भत्ता, वार्डन भत्ता, टिफिन भत्ता (मकान किराया कुछ परिस्थितियों में कर मुक्त है)
कर मुक्त भत्ते-
विदेश भत्ता पूर्णतः करमुक्त होता है।
वास्तविक व्यय की सीमा तक कर मुक्त
ऑफिस कार्य हेतु आने-जाने, ऑफिस कार्य या ट्रांसफर के लिये की गयी यात्रा, ऑफिस के कार्य के निष्पादन हेतु हैल्पर रखने, अनुसंधान खर्च एवं पोशाक भत्ता वास्तविक व्यय की सीमा तक कर मुक्त होंगे।
मकान किराया भत्ता-
यदि कोई कर्मचारी स्वयं के मकान में रहता हैं अथवा अथवा अन्य किसी के मकान में रहता है जिसके लिये उसके द्वारा कोई भी राशि किराये के रूप में भुगतान नहीं की जा रही है तो मकान किराया भत्ता पूर्णतः कर योग्य होगा। यदि कोई कर्मचारी किराये के मकान में रह रहा है तो कर्मचारी को मकान किराया भत्ते में निम्न में से सबसे कम राशि की छूट दी जावेगी।
1. वर्ष के दौरान प्राप्त वास्तविक मकान किराया भत्ता
2. वेतन के 10 फीसदी से अधिक चुकाया गया मकान किराया
3. वेतन का 40 फीसदी (दिल्ली, मुम्बई, कोलकता एवं चैन्नई के लिए वेतन का 50 फीसदी)
नोट- मकान किराये में छूट हेतु वेतन से अभिप्राय मूल वेतन, ग्रेड पे, मंहगाई भत्ते के याग से है।
यदि कर्मचारी द्वारा प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक मकान किराया चुकाया जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे मकान मालिक का पैन संख्या नियोक्ता को उपलब्ध कराना आवश्यक है और यदि मकान मालिक के पास पैन नंबर उपलब्ध नहीं है तो मकान मालिक से इस आशय की घोषणामय मकान मालिक के नाम एवं पता सहित प्राप्त कर नियोक्ता को उपलब्ध करानी होगी।
मकान किराये की छूट हेतु किरायानामा की प्रति नियोक्ता को उपलब्ध कराये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।