इस दशहरे पर रावण दहन के साथ मेरठ को चाहिए इन 10 बुराइयों से भी निजात, आइए लें संकल्प
आज दशहरा है। असत्य पर सत्य की विजय का यह प्रतीक है। इस दिन हर व्यक्ति बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेता है। बुराई के प्रतीक कुंभकरण, मेघनाद और रावण के पुतले दहन होंगे। लेकिन इस बुराई के अंत की परंपरा के साथ-साथ शहर में ऐसी तमाम बुराइयों ने जड़े जमा ली हैं।
मेरठ, अमन यात्रा । आज दशहरा है। असत्य पर सत्य की विजय का यह प्रतीक है। इस दिन हर व्यक्ति बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेता है। बुराई के प्रतीक कुंभकरण, मेघनाद और रावण के पुतले दहन होंगे। लेकिन इस बुराई के अंत की परंपरा के साथ-साथ शहर में ऐसी तमाम बुराइयों ने जड़े जमा ली हैं। जिनके चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसलिए आज रावण दहन के साथ इन बुराइयों से छुटकारा पाने का संकल्प आमजन और सरकारी सिस्टम को लेने की जरूरत है।
1. सड़क पर फैली गंदगी
तमाम प्रयासों के बाद भी प्रतिदिन उत्सर्जित लगभग 30 फीसद कूड़ा शहर में ही पड़ा रहता है। निगम के पास संसाधनों के अभाव में यह उठ नहीं पाता है। सड़क पर फैली यह गंदगी व आबादी के बीच कूड़े के ढेर बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। शहर के लोग दशहरे पर निगम से यही संकल्प चाहते हैं कि अगले साल इस बुराई का सामना न करना पड़े।
2. खुले जानलेवा नाले
नगर निगम के रिकार्ड में छोटे-बड़े लगभग 315 नाले हैं। इनमें से 14 नाले बहुत चौड़े और गहरे हैं। ये खुले हैं। इस साल ओडियन नाले में गिरकर एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है। पहले भी कई हादसे हुए हैं। शहर के लोग निगम से यही संकल्प चाहते हैं कि इस साल खुले नाले ढकने का काम शुरू हो। ताकि बड़े नाले को ढककर जनहानि से बचा जा सके और लोगों में व्याप्त भय खत्म हो।
3. अतिक्रमण
शहर को स्मार्ट बनाने की बात सभी करते हैं। लेकिन क्या अतिक्रमण हटाए बिना यह परिकल्पना करना बेमानी नहीं है। 50 फीसद नाले-नाली और सड़क पटरी अतिक्रमण में गुम हो चुके हैं। अतिक्रमण के चलते फुटपाथ पर पैदल चलने वालों का अधिकार ही खत्म कर दिया है। हालांकि प्रवर्तन दल की कार्रवाई हो रही है। लेकिन इस बुराई से अंत के लिए आमजन की सहभागिता बहुत जरूरी है।
4. प्रतिबंधित पालीथिन
केंद्र और राज्य सरकार ने दो साल पहले ङ्क्षसगल यूज पालीथिन, प्लास्टिक व थर्माकोल से बने उत्पादों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन यह सभी उत्पाद बाजार में आज भी उपलब्ध हैं। ङ्क्षसगल यूज पालीथिन, प्लास्टिक व थर्माकोल शहर के उत्सर्जित कचरे में 40 फीसद होते हैं। यह जलनिकासी चोक होने का प्रमुख कारण हैं। आमजन को इनके विकल्प को अपनाने और सरकारी सिस्टम को इमानदारी से प्रतिबंध को लागू करने का संकल्प लेने की जरूरत है।
5. नालों में बहता सीवेज
शहर में लगभग 55 फीसद हिस्से में सीवर लाइन नहीं है। घरों से निकलने वाला सीवेज नाले-नालियों में ही बहाया जाता है। जिससे काली नदी के प्रदूषित होने के साथ भूजल स्तर भी प्रदूषित हो रहा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के चपेट में लोग आ रहे हैं। सरकारी सिस्टम को अबकी संकल्प लेने की जरूरत है कि 220 एमएलडी एसटीपी का निर्माण समय से हो। बायोरेमेडिएशन तकनीकी से नालों के गंदे पानी की शुद्धता सुनिश्चित करने के प्रोजेक्ट का काम पूरा किया जाए। वंचित क्षेत्रों में सीवर लाइन डालने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजे जाएं।
6. आवारा आतंक
शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इनके बढ़ते हमलों से पुराने शहर के कई मोहल्लों में घर लोहे के ङ्क्षपजरे में कैद हो गए हैं। गलियों में आवारा कुत्तों के झुंड के चलते लोगों को घर के बाहर बैठना व निकलना दूभर है। पाश इलाकों में भी इनकी दहशत है। इस दशहरा निगम से लोग यही संकल्प चाहते हैं कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रैबीज वैक्सीन शुरू करें और बंदरों को पकड़कर दूर जंगलों में छोड़ा जाए।
7. गलियों में झूलते बिजली के तार
शहर को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। लेकिन पुराने शहर का बहुत बड़ा हिस्सा घनी आबादी व गलियों वाला है। यहां पर बिजली पोल पर झूलते तार बड़े हादसों का कारण बन रहे हैं। पविविनिलि में पांच साल की रिवैंप योजना आयी है। मौका है झूलते तारों से शहर को निजात दिलाने का। पुराने शहर के लोग इस दशहरा पविविनिलि से यही संकल्प चाहते हैं कि गलियों व घनी आबादी क्षेत्र में अगले साल तक बिजली की अंडरग्राउंड लाइन पड़ जाए ताकि हादसों का भय समाप्त हो सके।
8.थोड़ी सी बारिश में जलभराव
एक विकसित शहर में जलभराव की उम्मीद नहीं की जा सकती है। मेरठ शहर को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने की योजनाएं मूर्तरूप लेने लगी हैं। सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है। ऐसे में इस दशहरा सरकारी सिस्टम को यह भी संकल्प लेने की जरूरत है कि थोड़ी सी बारिश में जलभराव की स्थिति शहर में कहीं न बने। ऐसी कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
9. भ्रष्टाचार
पैसा कमाने की लालसा कालाबाजारी और भ्रष्टाचार को जन्म दे रही है। यही नहीं मिलावटखोरी भी बढ़ी है। मेरठ में कई मामले सामने आए हैं। सुशासन का पाठ सरकारी महकमे को पढ़ाया तो जाता है। लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें दिन प्रतिदिन गहरी होती जा रही हैं। इसके चलते सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक पहुंच नहीं पाता है। सरकारी सिस्टम को इस दशहरा संकल्प लेने की जरूरत है कि इस पर कड़ाई से अंकुश लगाया जाएगा।
10. बढ़ते अपराध
ऐसा कोई दिन नहीं कि लूट और चोरी की घटना न होती हो। डकैती, हत्या जैसे अपराध भी हो रहे हैं। महिला अपराधों में दुष्कर्म, छेड़छाड़, चेन स्नेङ्क्षचग, दहेज उत्पीडऩ, दहेज हत्या जैसी घटनाओं का ग्राफ बढ़ा है। इस दशहरा पुलिस प्रशासन को यह संकल्प लेने की जरूरत है कि बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाए। ताकि लोग भयमुक्त वातावरण में सांस ले सकें।