एक और जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहे गुरुजी
एक राष्ट्र, एक छात्र के तहत अब हर छात्र की विशिष्ट पहचान (12 अंक की आईडी) होगी जो उसकी बाल वाटिका से पीएचडी की पढ़ाई और नौकरी पाने में मददगार होगी।
- एक राष्ट्र, एक छात्र के तहत सभी छात्रों की बनेगी 12 अंकों की यूनिक आईडी
लखनऊ / कानपुर देहात। एक राष्ट्र, एक छात्र के तहत अब हर छात्र की विशिष्ट पहचान (12 अंक की आईडी) होगी जो उसकी बाल वाटिका से पीएचडी की पढ़ाई और नौकरी पाने में मददगार होगी। आधार की तर्ज पर काम करने वाली इस आईडी को ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (एपीएएआर) नाम दिया गया है।
यह योजना शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगी। केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा से जुड़े 4.50 करोड़ छात्रों में से 2.50 करोड़ को एपीएएआर प्रदान कर दिया है। शेष छात्रों के लिए एपीएएआर का निर्माण जारी है। स्कूली छात्रों की यूनिक आईडी बनाने के लिए राज्यों से जानकारियां जुटाई जा रही हैं। योजना लागू होने पर स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र देश में कहीं भी जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकता है। फिलहाल, ट्रांसफर सर्टिफिकेट से लेकर अन्य जटिलताओं के कारण इस प्रक्रिया (माइग्रेशन) में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस तरह से करेगा काम-
बाल वाटिका में जैसे ही छात्र दाखिला लेगा, उसकी एपीएएआर बन जाएगी। इसमें छात्र व माता-पिता के नाम, जन्मतिथि, लिंग, फोटो व आधार नंबर डाला जाएगा। यह आईडी उसके उच्च शिक्षा में भी काम आएगी। बोर्ड परीक्षा, जेईई, नीट, सीयूईटी समेत अन्य राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं के आवेदन पत्र में छात्र को यही आईडी अपलोड करनी होगी।
डिजिलॉकर व एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट से जुड़ेगी आईडी-
यह आईडी डिजिलॉकर व एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट से भी जुड़ रही है। जब कोई छात्र किसी कोर्स, डिग्री, सर्टिफिकेट, स्किल या कोई अन्य उपलब्धि हासिल करेगा तो उसके सर्टिफिकेट उसमें जुड़ जाएंगे। इससे छात्र की शैक्षणिक योग्यता व सर्टिफिकेट की जांच अलग से नहीं करनी होगी। पढ़ाई के बाद कैंपस प्लेसमेंट व नौकरी में भी इसी यूनिक आईडी से सत्यापन हो जाएगा।