एक छूटी परीक्षा, पर बुलंद हौसला! यूपी किराना विद्यालय की ‘आज्ञा’ ने रचा इतिहास
गम के बादल छाए, छूटी एक इम्तिहान की कड़ी, पर इस बिटिया ने अपनी प्रतिभा के दम पर सफलता की नई कहानी लिख दी!

- दादी का गम, छूटा पेपर, फिर भी लहराया सफलता का परचम, बनीं स्कूल की द्वितीय टॉपर
कानपुर। गम के बादल छाए, छूटी एक इम्तिहान की कड़ी, पर इस बिटिया ने अपनी प्रतिभा के दम पर सफलता की नई कहानी लिख दी! तात्याटोपे नगर स्थित यूपी किराना सेवा समिति बालिका विद्यालय के 13वें स्थापना दिवस पर एक ऐसी मेधावी छात्रा सम्मानित हुईं, जिनकी कहानी प्रेरणा से भरी है।
विद्यालय में आयोजित अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि निर्मल कुमार अग्रवाल ने जब दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया, तो हर आंखें उस बच्ची को ढूंढ रही थीं, जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। छात्राओं के ‘ऊंची उड़ान के लिए फड़फड़ाना जरूरी है’ और ‘आसमा को एक दिन छूकर दिखाएंगे’ जैसे जोशीले गीतों ने माहौल को उत्साह से भर दिया था।
इसी उत्साह के बीच, कक्षा 3 की छात्रा आज्ञा कटियार को सम्मानित किया गया। उनकी कहानी सुनकर हर कोई अभिभूत हो गया। अपनी परीक्षाओं के दौरान, आज्ञा ने अपनी प्यारी दादी को खो दिया, जिसके कारण उनका एक महत्वपूर्ण पेपर छूट गया। विद्यालय के नियमों में पुन: परीक्षा का प्रावधान न होने के बावजूद, आज्ञा ने अपनी पिछली परीक्षाओं में इतने उत्कृष्ट अंक हासिल किए थे कि उन्होंने पूरे विद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त कर लिया! यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि आज्ञा हर साल अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर ही काबिज रहती थीं। विद्यालय ने उनकी इस असाधारण उपलब्धि के लिए उन्हें 2 हजार रुपए नकद, 4 हजार की चेक, प्रशस्ति पत्र, मेडल और एक ज्ञानवर्धक पुस्तक भेंट की।
आज्ञा कटियार, जिसके मन में डॉक्टर बनने का सपना पल रहा है, कहती हैं कि वह अपने पिता के सपनों को साकार करेंगी और डॉक्टर बनकर देश व समाज की सेवा करेंगी। उनके पिता, राजेश बाबू कटियार, जो एक मेडिकल स्टोर चलाते हैं, अपनी दोनों बेटियों – आज्ञा और उनकी छोटी बहन प्रतिज्ञा (जो इसी सत्र में नर्सरी में भर्ती हुई हैं) को उच्च शिक्षा दिलाकर डॉक्टर बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह एक ऐसा पेशा है जो सम्मान के साथ-साथ सेवा का भी अवसर देता है।
इस गौरवशाली अवसर पर प्रधानाचार्य उषा सेंगर सहित विद्यालय के कई गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे और उन्होंने मेधावी छात्राओं को उनकी सफलता के लिए बधाई दी। आज्ञा की यह कहानी निश्चित रूप से अन्य छात्रों के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और प्रतिभा के बल पर सफलता हासिल की जा सकती है।
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