सम्पादकीय

एक युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध : डॉo सत्यवान सौरभ

अमन यात्रा : सबसे पहले

( हमने देख लिए है कि सिर्फ अदालती आदेशों के भरोसे हम इस समस्या से नहीं लड़ सकते. तभी तो इस मुद्दे पर हर साल हो-हल्ला होता है. इसके बावजूद भी ये समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. मात्र पराली इस समस्या की जड़ नहीं है. फैक्ट्रियां, वाहन और उद्योग जहरीले हवा के लिए दोषी है.  इन सभी को एक फ्रेम में देखकर हमें सभी के लिए सख्त नियम लागू करने होंगे. इसके साथ-साथ हम सभी स्वयं जागरूक होने की जरूरत हो. तभी हम प्रदूषण के विरुद्ध इस युद्ध को जीत पाएंगे.)

 डॉo सत्यवान सौरभ, 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, 
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में  ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ ‘ अभियान शुरू कर दिया है. यह प्रदूषण से निपटने के लिए चलाए जा रहे ‘युद्ध, प्रदूण के विरुद्ध अभियान का एक हिस्सा है. हम सभी रेड लाइट पर अपने वाहन बंद करने का संकल्प लें. हर एक व्यक्ति का प्रयास प्रदूषण को कम करने में योगदान देगा. दिल्ली में 13 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। हर हॉटस्पॉट के लिए अलग योजना बनाई जाएगी। दिल्ली सरकार एक ‘ग्रीन दिल्ली’ ऐप भी लॉन्च करेगी। इस पर कोई भी प्रदूषण को लेकर शिकायत कर सकता है। सरकार ट्री प्लांटेशन पॉलिसी भी ला रही है। इसके तहत पेड़ काटने के बदले 10 नए पौधे लगाने के साथ ही काटे जानेवाले 80 प्रतिशत पेड़ों को ट्रांसप्लांट करना होगा।

हर साल, दिवाली में आतिशबाजी से दिल्ली में धुंध फैल जाती है, जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और अंतर्निहित बीमारियों वाले लोगों को चेतवानी देती है। इस वर्ष अंतर यह है कि सीओवीआईडी -19 के कारण प्रदूषण  में थोड़ी कमी आई है  लेकिन अब तालाबंदी खुलने से वायु प्रदूषण के बढ़ने के आसार है तो  दिल्ली प्रशासन ने एक बड़ा प्रदूषण-विरोधी अभियान शुरू किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संकलित वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है।

हर वर्ष दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10 का  मामला, राष्ट्रीय मानकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमाओं को पार करता है। अब दिल्ली को PM2.5 के लिए राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए 65% की कमी की आवश्यकता है। दिल्ली की जहरीली हवा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की उच्च मात्रा भी होती है।  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अक्टूबर 2018 में एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसमें लगभग 41% वाहन उत्सर्जन, 21.5% धूल और 18% उद्योगों को शामिल किया गया।

डब्ल्यूएचओ के एक सर्वे के अनुसार, भारत में  सांस की बीमारियों और अस्थमा से दुनिया की सबसे अधिक मृत्यु दर है। वायु प्रदूषण कम दृश्यता, एसिड वर्षा और ट्रोपोस्फेरिक स्तर पर  पर्यावरण को प्रभावित करता है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक बड़ा प्रदूषण-विरोधी अभियान शुरू किया है, यह प्रदूषण  के विरुद्ध  पेड़ प्रत्यारोपण नीति, कनॉट प्लेस (दिल्ली) में एक स्मॉग टॉवर का निर्माण, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और मलबे को जलाने को लेकर है।

दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता  सर्दियों के मौसम में और भी अधिक बिगड़ती है। ऐसा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में थर्मल प्लांटों और ईंट भट्टों के घातक धुएं  के साथ-साथ आस-पास के राज्यों से जलने वाले रासायनिक कचरा भी है। कोविद-19 से पहले वायु प्रदूषण भीषण था। पार्टिकुलेट मैटर, पीएम 2.5 और पीएम 10, राष्ट्रीय मानकों से अधिक और कड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत है।

दिल्ली की जहरीली हवा में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की उच्च मात्रा है। आज दिल्ली को PM2.5 के लिए राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए 65% की कमी की आवश्यकता है। ट्रक और दोपहिया सहित वाहन, PM2.5 सांद्रता में 20% -40% तक हैं। बैंकॉक, बीजिंग और मैक्सिको सिटी  के अनुसार वाहन उत्सर्जन से निपटने का एजेंडा एक हिस्सा बनाना होगा।

हमें अब उत्सर्जन नियंत्रणों और कठिन दंड लगाने की जरूरत है। बीजिंग ने दोपहिया और तिपहिया वाहन कारों और लॉरी को बंद करके ही ऐसा किया। बैंकॉक ने उत्सर्जन में कटौती और रखरखाव को गति दी।  इसलिए दिल्ली में बेहतर बीआरटी लेन को डिजाइन करने, टिकट प्रणाली में सुधार और मेट्रो के साथ सिंक्रनाइज़ करने के अपने बीआरटी अनुभव से सबक लेना चाहिए। दिल्ली के बस बेड़े को बढ़ाने और इसे मेट्रो नेटवर्क के साथ संरेखित करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पूरा करना चाहिए। इसमें ऑड-ईवन ’नंबर प्लेट नीति मदद कर सकती है, लेकिन सिस्टम को छूट कम करनी चाहिए।

2025 तक एक-चौथाई से एक-तिहाई  वायु प्रदूषण में कटौती करने का एजेंडा है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी)  को बढ़ावा देना शामिल हैं। इसके लिए सब्सिडी और निवेश की आवश्यकता होगी कि ईवीएस का उपयोग बिना जीवाश्म ईंधन के उन्हें चार्ज करने के लिए सार्थक पैमाने पर किया जाये। दिल्ली सरकार की तीन साल की नीति का लक्ष्य 2024 तक राजधानी में पंजीकृत नए वाहनों के एक चौथाई के लिए ईवीएस खाता बनाना है। ईवी को प्रोत्साहन, पुराने वाहनों पर लाभ, अनुकूल ब्याज पर ऋण और सड़क करों की छूट से लाभ होगा।

दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए  उत्सर्जन मानक, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं। दिल्ली का दीर्घकालिक समाधान परिवहन से उत्सर्जन को समाप्त करने पर भी महत्वपूर्ण रूप से निर्भर करेगा। परिवहन समाधान को प्रदूषण उन्मूलन का एक हिस्सा होना चाहिए जिसमें उद्योग और कृषि शामिल हैं। यदि पड़ोसी राज्यों के प्रदूषण पर ध्यान नहीं दिया गया तो दिल्ली की अपनी कार्रवाइयां कारगर नहीं होंगी। वाहनों के उत्सर्जन का मुकाबला करने के लिए तीन-भाग की कार्रवाई में उत्सर्जन मानक सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं.

वाहनों के उत्सर्जन का मुकाबला करने के लिए तीन-भाग की कार्रवाई में उत्सर्जन मानक, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं। दिल्ली के बस बेड़े को बढ़ाने और इसे मेट्रो नेटवर्क के साथ संरेखित करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पूरा करना चाहिए। केंद्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों में समन्वय और पारदर्शिता से तकनीकी समाधानों को कम करने की आवश्यकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे डेटा का उपयोग करके प्रदूषण और स्वास्थ्य पर संदेश साझा करने के लिए नागरिक भागीदारी और मीडिया महत्वपूर्ण हैं। आज हमें लोगों के स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य को प्राथमिकता देने की बात है।  महामारी के साथ  दिल्ली को अब प्रदूषण से  लड़ना चाहिए।

अब कार्रवाई का समय आ गया है। हर साल आने वाली देशी-विदेशी रिपोर्ट बताते है कि दुनिया में सबसे ज्यादा हवा भारत के शहरों की ख़राब है और यह स्थिति दिनों दिन गंभीर होती जा रही है. उत्तर भारत में पराली का जलाना इसका एक महत्वपूर्ण कारण के तौर पर सुर्ख़ियों में रहता है.  सर्वोच्च न्यायालय के हस्क्षेप के बावजूद भी पराली का जलना नहीं रूक रहा है. हमने देख लिए है कि सिर्फ अदालती आदेशों के भरोसे हम इस समस्या से नहीं लड़ सकते. तभी तो इस मुद्दे पर हर साल हो-हल्ला होता है. इसके बावजूद भी ये समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.

मात्र पराली इस समस्या की जड़ नहीं है. फैक्ट्रियां, वाहन और उद्योग जहरीले हवा के लिए दोषी है.  इन सभी को एक फ्रेम में देखकर हमें सभी के लिए सख्त नियम लागू करने होंगे. इसके साथ-साथ हम सभी स्वयं जागरूक होने की जरूरत हो. तभी हम प्रदूषण के विरुद्ध इस युद्ध को जीत पाएंगे.

 डॉo सत्यवान सौरभ,

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, 
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

AD
Back to top button