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एमडीएम की कन्वर्जन कास्ट न मिलने से कराह चुके मास्टर
परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिडडे मील खिलाने में शिक्षक कर्जदार हो गए हैं। एक-दो नहीं बल्कि जनपद में वर्तमान में करीब 30 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि हो चुकी है। कन्वर्जन कास्ट न मिलने से शिक्षक परेशान हैं।

अमन यात्रा , कानपुर देहात : परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिडडे मील खिलाने में शिक्षक कर्जदार हो गए हैं। एक-दो नहीं बल्कि जनपद में वर्तमान में करीब 30 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि हो चुकी है। कन्वर्जन कास्ट न मिलने से शिक्षक परेशान हैं। मार्च के बाद से अब तक केवल दो बार कन्वर्जन कॉस्ट शासन की ओर से भेजी गई है उसमें भी कई विद्यालय छूट गए थे। अहम बात यह है कि पैसा भेजा नहीं जा रहा और शिक्षकों को सख्त निर्देश हैं कि बच्चों को एमडीएम अनिवार्य रूप से खिलाना है।
स्कूलों को पहले कन्वर्जन कास्ट की धनराशि एडवांस में मिल जाती थी लेकिन अबकी बार नहीं मिली है जिन विद्यालयों में छात्र संख्या कम है उन्हें परेशानी कम उठानी पड़ रही है पर जिन विद्यालयों में छात्र संख्या अधिक है वहां संकट गंभीर हो चला है। कहीं प्रधान सहयोग करते हैं तो कहीं प्रधानाध्यापक खुद पूरा खर्च उठा रहे हैं। सप्ताह में एक बार बच्चों को दूध दिया जाता है इसी तरह सप्ताह में एक बार फल भी दिया जाता है। दूध के लिए अलग से धनराशि नहीं आती लेकिन फल की धनराशि आती है। दिलचस्प बात यह है कि विभाग किसी भी विद्यालय में अधिकतम 60 फीसदी हाजिरी को ही मानता है। विद्यालयों को कुल छात्र संख्या का 60 फीसदी ही अनाज दिया जाता है शेष 40 फीसदी का खर्च अकेले शिक्षक या ग्राम प्रधान उठाते हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धी पाण्डेय ने बताया कि खाद्यान्न का संकट जुलाई से था लेकिन अब आर्डर आ गया है शीघ्र विद्यालयों को खाद्यान्न मिल जाएगा। कन्वर्जन कास्ट की धनराशि शासन स्तर से आनी है विभाग को स्मरण करा दिया गया है। जैसे ही कन्वर्जन कास्ट आएगी वैसे ही स्कूलों के खातों में भेज दी जाएगी। जिन विद्यालयों में एमडीएम से संबंधित समस्याएं हैं उनका तुरंत समाधान कराया जाएगा।
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