शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष 50 घंटे का प्रशिक्षण हुआ अनिवार्य
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की चल रही कोशिशों के बीच शिक्षा मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाया है।
अमन यात्रा, कानपुर देहात । नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की चल रही कोशिशों के बीच शिक्षा मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाया है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों के लिए अब प्रशिक्षण जरूरी होगा जो उन्हें एनईपी के प्रभावी अमल होने तक हर साल दिया जाएगा। इनमें उन सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा जो एनईपी के तहत स्कूलों में लागू किए जा रहे हैं या फिर आने वाले नए स्कूली पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाए जाने वाले हैं। खासबात यह है कि इस प्रशिक्षण के दायरे में सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले ही प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक नहीं आएंगे बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और प्रिंसिपल भी शामिल होंगे। हालांकि वह उनके लिए जरूरी नहीं होगा लेकिन स्कूलों के लिए प्रस्तावित ग्रेडिंग व्यवस्था में यह शामिल होगा।
हर साल 50 घंटे का होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम-
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस योजना के तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और प्रिंसिपलों के प्रशिक्षण का जो रोडमैप तैयार किया गया है उसके तहत यह हर साल करीब 50 घंटे का होगा। प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों के एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में यह प्रशिक्षण दर्ज भी होगा। फिलहाल मंत्रालय ने इस प्रशिक्षण के फ्रेमवर्क को तैयार करने के लिए एनसीटीई यानि नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन और राज्यों के साथ चर्चा शुरू कर दी है।
प्रधानाध्यापकों/प्रिंसिपलों पर रहेगा विशेष फोकस-
मंत्रालय के मुताबिक प्रशिक्षण की इस पहल में प्रधानाध्यापकों/प्रिंसिपलों पर विशेष फोकस किया गया है। उन्हें लीडरशिप और नवाचार को लेकर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके आधार पर ही वह स्कूलों में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली बच्चों को पहचान सकेंगे और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया करा सकेंगे। अभी नौकरी मिलने के बाद शिक्षकों को एक अंतराल पर ही प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। वह भी जरूरी नहीं है।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में करीब 15 लाख स्कूल है। इनमें दस लाख से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं। इनमें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र में ही स्थिति हैं।