कानपुर

एसजीपीजीआइ के निदेशक ने बताई, यूपी में कोरोना की संभावित तीसरी लहर टलने के पीछे की वजह

उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन तेज रफ्तार से चल रहा है, जिससे लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। साथ ही कोरोना की दूसरी लहर में लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई थी। यही वजह है कि प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर टल गई है। अगर वायरस में म्यूटेशन से कोई नया स्ट्रेन आता है और वैक्सीन उस पर प्रभावी नहीं होती है तो ही तीसरी लहर का खतरा है। यह बातें रविवार को संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहीं। वह एसोसिएशन आफ फिजीशियन आफ इंडिया (एपीआइ) के यूपी एपीआइकान-2021 के 38वें वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

कानपुर, अमन यात्रा । उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन तेज रफ्तार से चल रहा है, जिससे लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। साथ ही कोरोना की दूसरी लहर में लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई थी। यही वजह है कि प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर टल गई है। अगर वायरस में म्यूटेशन से कोई नया स्ट्रेन आता है और वैक्सीन उस पर प्रभावी नहीं होती है तो ही तीसरी लहर का खतरा है। यह बातें रविवार को संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहीं। वह एसोसिएशन आफ फिजीशियन आफ इंडिया (एपीआइ) के यूपी एपीआइकान-2021 के 38वें वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) परिसर स्थित कैलाशपत सिंहानिया पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन में आयोजित अधिवेशन में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर धीमी और लंबी रही। जो अप्रैल से दिसंबर 2020 तक चली, जबकि दूसरी लहर बहुत तेज रही। महज दो माह रही, इसकी तीव्रता अधिक होने से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी और उसके अनुपात में बेड नहीं मिल पाए। इसलिए उस समय मृत्युदर 15 से 20 फीसद तक पहुंच गई थी। इस दौरान मौतों का डेथ आडिट कराया गया, इसलिए आंकड़े पूरी तरह प्रमाणित हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने पहली और दूसरी लहर के ट्रेंड को देखते हुए तीसरी लहर की पूरी तैयारी कर रखी है। 18 से ऊपर के आयु वर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। सिर्फ बच्चे ही छूटे हैं, इसलिए बच्चों के इलाज का बंदोबस्त किया गया है। उनके लिए कोविड पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) तैयार किए गए हैं। इस दौरान जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला एवं उप प्राचार्य व मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि मौजूद रहीं।

जलजनित बीमारी हैं डेंगू व वायरल बुखार

प्रो. धीमान ने कहा कि डेंगू और वायरल बुखार जलजनित बीमारियां हैं। बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी भरने से मच्छरों के लार्वा उत्पन्न होते हैं। जो मच्छर बनकर बीमारियां फैलाते हैं। गंदगी और साफ-सफाई न होने से वायरल इंफेक्शन फैलता है। तीन माह में बारिश खत्म होते ही बीमारियां भी खत्म हो जाती हैं।

जिलों में पांच साल में ट्रामा सेंटर

एसजीपीजीआइ के निदेशक प्रो. धीमान ने कहा कि सरकार हर जिले में ट्रामा केयर का बंदोबस्त करने में जुटी है। पांच से 10 साल में हर जिले में ट्रामा सेंटर बन जाएंगे ताकि हादसे में घायलों को स्थानीय स्तर पर ही इलाज मिल सके। अभी सरकार जिला अस्पतालों में आइसीयू एवं सेमी आइसीयू बनाने जा रही है।

Author: aman yatra

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