कानपुर देहातउत्तरप्रदेश
ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस तो बहाना है बाकी सरकारी स्कूलों को प्राइवेट बनाना है
उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। सरकार के द्वारा थोपे गए तुगलकी फरमान से ऐसा प्रतीत होता है जैसे की सरकार सभी सरकारी स्कूलों का निजीकरण करना चाह रही हो।
कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। सरकार के द्वारा थोपे गए तुगलकी फरमान से ऐसा प्रतीत होता है जैसे की सरकार सभी सरकारी स्कूलों का निजीकरण करना चाह रही हो। यूपी में सर्वाधिक व्यय बेसिक शिक्षा विभाग पर हो रहा है और उसमें भी शिक्षकों के वेतन पर इसीलिए सरकार का उद्देश्य मात्र इतना है कि स्कूलों का निजीकरण किया जाए परन्तु उससे पहले कर्मचारियों की संख्या कम करनी जरूरी है.
जिससे निजिकरण का विरोध न हो सके इसीलिए डिजिटल उपस्थिति से दूर दराज के कुछ शिक्षक सड़क हादसों में मर जाएंगे, कुछ को कई बार अनुपस्थित दिखाकर सेवा से बाहर किया जाएगा, कुछ शिक्षक निजी कारणों से परेशान होकर नौकरी छोड़ देंगे तो कुछ तनाव से बीपी / हार्ट अटैक से मर जाएंगे। शिक्षकों का वेतन ही है जो उनका दुश्मन है इसीलिए वह समाज/सरकार / विभाग को अखरने लगे हैं। अब निजीकरण तो एकदम कर नहीं सकते इसलिए डिजिटल उपस्थिति से शुरुआत करके एक ही शिक्षक के कई बार वेतन रोककर, सरकारी सेवा के लिए अयोग्य बताकर सेवा से बाहर किया जाएगा।
50 वर्ष से ऊपर वालो को लायबिलिटी बताकर जबरन छटनी की जाएगी तथा फिर ये शिक्षकों की दक्षता मापन हेतु हर वर्ष परीक्षाएं कराई जाएंगी जो पास होगा वो टिकेगा जो फेल वो सेवा से बाहर होगा। सरकार सोची समझी रणनीति के सहित शिक्षकों को हतोत्साहित कर रही है।