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कानपुर देहात। ऑनलाइन हाजिरी के विरोध में शिक्षकों ने एकजुटता दिखाई है। पूरे प्रदेश में किसी भी शिक्षक ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं की है।स्कूलों को डिजिटल प्रक्रिया से जोड़ते हुए सोमवार से शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के निर्देश थे सोमवार को प्रदेश भर में दो फीसदी शिक्षकों ने ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की थी। दूसरे दिन शिक्षकों ने अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए पूरे प्रदेश में किसी भी शिक्षक ने ऑनलाइन हाजिरी दर्ज नहीं की है। वहीं शिक्षकों की इस मुहिम में अब समाजवादी पार्टी के मुखिया की भी एंट्री हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर एवं फेसबुक अकाउंट पर लिखा है कि शिक्षकों पर विश्वास करने से ही अच्छी पीढ़ी जन्म लेती है।
https://x.com/yadavakhilesh/status/1810585967692324875?t=6ltl9LlRIaxVcltAa-2AEg&s=19
कोई भी शिक्षक देर से स्कूल नहीं पहुँचना चाहता है लेकिन कहीं सार्वजनिक परिवहन देर से चलना इसका कारण बनता है, कहीं रेल का बंद फाटक और कहीं घर से स्कूल के बीच की पचासों किमी की दूरी क्योंकि शिक्षकों के पास स्कूल के पास रहने के लिए न तो सरकारी आवास होते हैं, न दूरस्थ इलाकों में किराये पर घर उपलब्ध होते हैं। इससे अनावश्यक तनाव जन्म लेता है और मानसिक रूप से उलझा अध्यापक कभी जल्दबाजी में दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकता है जिसके अनेक उदाहरण मिलते हैं। यदि किसी आकस्मिक कारणवश शिक्षकों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य या फिर घर, परिवार और समाजिक कारणों से दिन के बीच में स्कूल छोड़ना पड़े तो पूरे दिन के अनुपस्थित होने की रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
देर से स्कूल पहुँचने या जल्दी स्कूल से वापस जाने के अनेक कारण हो सकते हैं। यहाँ तक कि विद्युत आपूर्ति के बाधित होने या तकनीकी रूप से भी कभी इंटरनेट जैसी सेवाओं के सुचारू संचालन में समस्या आती है इसीलिए डिजिटल अटेंडेंस का विकल्प बिना व्यावहारिक समस्याओं के पुख्ता समाधान के बिना संभव नहीं है। सबसे पहले ये अन्य सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में लागू किया जाए जिससे उच्चस्थ अधिकारियों को इसके व्यावहारिक पक्ष और परेशानियों का अनुभव हो सके, फिर समस्या-समाधान के बाद ही इसे बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में लागू करने के बारे में कालांतर में सोचा जाए।
वहीं नगीना से सांसद चंद्र शेखर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ऑनलाइन हाजिरी को पूर्णतया अनुचित एवं अव्यवहारिक बताया है उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि शिक्षकों द्वारा बार-बार मोबाइल पर कार्य करने से अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति गलत संदेश जा सकता है। शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति पूर्णतया अनुचित एवं अव्यवहारिक हैं इससे शिक्षकों में भागमभाग की स्थिति पैदा होगी।
समाज में शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता खराब होने से शिक्षा प्रभावित हो सकती है। मुख्यमंत्री जी आपसे निवेदन है कि समाज में शिक्षकों की गरिमा, विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए इस मामले को संज्ञान में ले और आदेश निरस्तीकरण हेतु संबंधित अधिकारी को निर्देशित करें।
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