ऑपरेशन कायाकल्प महज कमाई का बनकर रह गया है विकल्प
स्कूलों की हालत सुधारने के लिए मिशन कायाकल्प शुरू तो कर दिया गया लेकिन तब भी सैकड़ों सरकारी स्कूलों की काया बदलना तो दूर बल्कि उनका जर्जर भवन तक नहीं बदला जा सका है।

- जिले में 305 परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर हालत में, बैठने से डरते हैं बच्चे, कागजों पर दौड़ रहे कायाकल्प के घोड़े
कानपुर देहात,अमन यात्रा : स्कूलों की हालत सुधारने के लिए मिशन कायाकल्प शुरू तो कर दिया गया लेकिन तब भी सैकड़ों सरकारी स्कूलों की काया बदलना तो दूर बल्कि उनका जर्जर भवन तक नहीं बदला जा सका है। प्रदेश भर में ऑपरेशन कायाकल्प में जनपद फिसड्डी साबित हुआ है। ग्राम प्रधानों द्वारा जिन स्कूलों में कायाकल्प के अंतर्गत काम करवाया भी गया है वह सही से नहीं कराया गया है खराब गुणवत्ता की वजह से कई जगह कई शिकायतें मिल रही हैं। ऑपरेशन कायाकल्प महज कमाई का विकल्प बनकर रह गया है। आज भी जिले के करीब 305 परिषदीय स्कूलों के भवन जर्जर हाल में हैं।
कुछ स्कूलों की तो हालत इतनी खराब है कि बच्चे बैठने से भी डरते हैं तो वहीं अध्यापकों और अभिभावकों की भी सांसे अटकी रहती हैं। शासन की मंशा है कि परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाया जाए इसके लिए शासन द्वारा पंजीकृत छात्र-छात्राओं को किताबें, बैग, जूते-मोजे, यूनिफॉर्म, स्वेटर आदि नि:शुल्क मुहैया कराए जाते हैं। प्रतिदिन दोपहर में एमडीएम दिए जाने की भी व्यवस्था है लेकिन ये सब होते हुए भी इस पर किसी का ध्यान नहीं गया कि आज भी तमाम स्कूलों के भवन जर्जर है, जहां ये नौनिहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अकबरपुर समेत तमाम ब्लॉकों में ऐसे स्कूल हैं जो इतनी खराब अवस्था में हैं कि यहां बैठते हुए बच्चे डरते हैं तो वहां के शिक्षकों समेत बच्चों के अभिभावकों की सांसे अटकी रहती हैं। कुछ भवन तो ऐसे भी हैं जहां इनके गिरने के डर से बच्चों को बाहर खुले में बैठकर पढ़ाया जा रहा है। इन जर्जर स्कूलों में कभी भी कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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