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कम बच्चों वाले स्कूलों से हटाए जाएंगे शिक्षक

बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित जिन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे कम हैं और शिक्षक ज्यादा है वहां से शिक्षकों को हटाते हुए अधिक बच्चों वाले विद्यालय में भेजा जायेगा। इस संबंध में छात्र संख्या के आधार पर मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों और बच्चों का ब्योरा दुरुस्त करने के आदेश दिए गए हैं ताकि पोर्टल से ही शिक्षकों के एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण किया जा सके

कानपुर देहात। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित जिन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे कम हैं और शिक्षक ज्यादा है वहां से शिक्षकों को हटाते हुए अधिक बच्चों वाले विद्यालय में भेजा जायेगा। इस संबंध में छात्र संख्या के आधार पर मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों और बच्चों का ब्योरा दुरुस्त करने के आदेश दिए गए हैं ताकि पोर्टल से ही शिक्षकों के एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण किया जा सके। ये प्रक्रिया जून तक पूरी कर ली जायेगी। बता दें कि हर जनपद में काफी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं। जहां पर शिक्षकों और बच्चों का अनुपात बराबर नहीं है।

इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है। कई विद्यालयों में बच्चों की संख्या 25 से 30 है और शिक्षकों की संख्या 4 से 5। इसके बीच कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहां शिक्षकों की संख्या 2 से 3 है लेकिन वहां बच्चों की संख्या 200 से 300 है। इस स्थिति को देखते हुए विभाग का प्रयास है कि इस अनुपात में सुधार किया जाए। जबकि 30 बच्चों पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य है। डेढ़ दशक से नहीं हुआ समायोजन करीब डेढ़ दशक से समायोजन न होने के कारण विद्यालयों में शिक्षकों का अनुपात काफी खराब हो चुका है। गैर जनपद स्थानांतरण और सेवानिवृत्त होने से कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कम हो गई है लेकिन छात्र संख्या पहले जैसे होने से पठन-पाठन प्रभावित हुआ है।

मानव संपदा पोर्टल पर पूरा ब्योरा अपडेट होना जरूरी-
इस संबंध में सचिव ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वह समायोजन से पूर्व मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों के सारे विवरण को सहीं करा लें जिससे कि मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से समायोजन प्रक्रिया पूरी हो सके। इस बार विद्यालयों में बच्चों की नामांकन संख्या और कम हुई है।

बेसिक शिक्षा विभाग के अनुदानित स्कूलों में भी लापरवाही-
विभाग की ओर से अनुदानित स्कूलों की भी स्थिति अच्छी नहीं है। वर्तमान स्थिति में जांच हुई तो सारी पोल खुल जायेगी। हालात ये है कि 15 से 20 बच्चों को पढ़ाने के लिए 4-4 शिक्षक हैं तो किसी में 30 से 32 छात्रों के लिए 6 शिक्षक हैं। इन स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों, लिपिक और बाबूओं के वेतन भुगतान के नाम पर हर महीने लाखों रुपये सरकारी धन से खर्च किए जा रहे हैं जिन पर विभाग को ध्यान देने की जरूरत है।

ऊंची पहुंच वाले शिक्षकों के आगे विभाग भी लचर-
ऊची पहुंच वाले शिक्षकों के आगे विभाग भी लचर साबित हो रहा है। उनके लिए विद्यालय का मानक भी ठेंगे पर रहता है। हालात ये है कि इन शिक्षकों को रोड किनारे वाले विद्यालयों में तैनाती चाहिए भले ही वहां बच्चे कम हो। हैरानी की बात ये है कि विभाग में शिक्षकों की कमी होने के बाद भी इन्हें प्रतिनियुक्ति पर भी भेज दिया जाता है।

Author: aman yatra

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