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कानपुर, अमन यात्रा ब्यूरो । गोरखपुर में कानपुर के मनीष गुप्ता हत्याकांड पर भाजपा, सपा और आप नेताओं का दिवंगत परिवार से मिलकर ढांढस बंधाए जाने के बाद शहर कांग्रेस कमेटी भी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव को बुलाने में कामयाब हो गई थी और तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। लेकिन प्रियंका वाड्रा के कानपुर दौरे का कार्यक्रम आने के चार घंटे बाद ही उसे निरस्त कर दिया गया है। वैसे तो कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ ट्विटर वार छेड़ रखा है लेकिन प्रियंका के न आने की वजह को लेकर तरह तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। उनका कार्यक्रम निरस्त होने के बाद कांग्रेसी लाभ और हानि के गुणा भाग में जुट गए हैं। जानकार बताते हैं कि मीनाक्षी के सरकार से संतुष्ट होने की टिप्पणी के बाद ही कार्यक्रम रद्द किया गया है।
प्रदेश सरकार को घेरने का अवसर ढूंढने वाली विपक्षी पार्टियों ने गोरखपुर में प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड को राजनीतिक रंग दे दिया है।घटना के 24 घंटे के भीतर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मृतक की पत्नी मीनाक्षी से मिलने पहुंचे तो राजनीतिज्ञों की लाइन लग गई।कांग्रेस का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी दर्द बांटने पहुंचा और राष्ट्रीय महासचिव से फोन पर बात कर हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया।इस कड़ी में प्रदेश में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहीं आम आदमी पार्टी और प्रसपा कहां पीछे रहने वाली थीं।प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भी पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया और सरकार की कानून व्यवस्था पर तीक्ष्ण बाण छोड़े। ऐसे में प्रियंका वाड्रा ने भी शुक्रवार को आने के लिए हामी भर दी थी। अानन फानन प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कार्यक्रम जारी कर दिया था लेकिन चार घंटे में बाद ही उनका कानपुर दौरे का कार्यक्रम निरस्त भी कर दिया गया।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि यहां से नेताओं ने पल पल की खबर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव को दी गई। सरकार ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी को सरकारी नौकरी समेत अन्य सभी मांगें मान लीं, जिसके बाद मीनाक्षी ने सरकार के प्रति अपनी संतुष्टता जाहिर कर दी। इसे देखते हुए प्रियंका ने कार्यक्रम रद्द कर दिया। इसके बाद कांग्रेस के राजनीतिक विष्लेषक इसे पार्टी के नुकसान से जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि यदि प्रियंका पहले आ गई होतीं तो आम जनभावना पार्टी से जुड़ती, जिसका आने वाले चुनाव में असर दिखाई देता। हालांकि कुछ इसके विरोध में भी हैं, उनका मानना है कि जब पीड़िता ने ही सरकार से संतुष्ट होने की बात कह दी तो फिर आने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
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