कानपुर

कानपुर के तीन साहित्यकारों को सम्मानित करेगा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लेखन में है जादू

कानपुर के साहित्यकारों की कलम कहानी और लेख की रचना के समय कठोर हो जाती है तो पति-पत्नी के संबंधों पर हास्य की फुहार रहती है। वहीं कुरीतियों पर व्यंग्य के बाण चलते हैं और सामाजिक पहलुओं पर एकरूपता नजर आती है।

कानपुर, अमन यात्रा। प्रेम, भाईचारे, सद्भाव की अलख जगाकर, सामाजिक बुराईयों, अव्यवस्थाओं, विसंगतियों का अभिव्यक्ति से एनकाउंटर करने वाले शहर के तीन साहित्यकारों को उप्र हिंदी संस्थान की ओर से सम्मानित किया जाएगा। उनकी कलम भले ही कविता-गीतों के लिए कोमल हों, लेकिन कहानी और लेख की रचना के समय कठोर हो जाती है। पति-पत्नी के संबंधों पर जहां हास्य की फुहार रहती है वहीं, कुरीतियों पर व्यंग्य के बाण चलते हैं। सामाजिक पहलुओं पर एकरूपता का चश्मा नजर आता है। यह लेखन के जादूगर डॉ. सुरेश अवस्थी, साहित्यकार कृष्ण बिहारी त्रिपाठी और डॉ. रामगोपाल पांडेय हैं, जिनका जल्द ही सम्मान होगा।

देश और विदेश में कविताओं का डंका

डॉ. सुरेश अवस्थी के व्यंग्य और कविताओं का डंका देश ही नहीं विदेशों में बज रहा है। अब तक अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, दुबई, मॉरीशस, केन्या, मस्कट समेत अन्य देशों में काव्य यात्राएं कर चुके हैं। उनको हिंदी गद्य व पद्य, दोहे, मुक्तक, गजल, कहानियां, निबंध, कविताएं, लघुकथाएं आदि के लेखन में महारत हासिल है। दूरदर्शन में प्रकाशित 18 धारावाहिकों की पटकथा, शीर्षक गीत और संवाद लिखे। डॉ. अवस्थी मूलरूप से कानपुर देहात के कहिंजरी गांव के रहने वाले हैं। इस समय नवीन नगर में रह रहे हैं। इनकी कलम जितनी पति पत्नी के रिश्तों पर चलती है, उतनी ही दहेज, शहर के गड्ढे, गंदगी, अपराध पर हमला करती है। कहानी संग्रह शीतयुद्ध, गजल संग्रह दीवारें सुन रहीं हैं। शोध प्रबंध साधना के स्वर, विशेषांक मेरी रचनाधर्मिता पर केंद्रित टू मीडिया व गीत गुंजन , व्यंग्य सब कुछ दिखता है, नो टेंशन, दशानन का हफलनामा, चप्पा चप्पा चरखा चले, आईने रूठे हुए व्यंग्योपैथी हैं।

कक्षा 11 में लिखी पहली कहानी

कृष्ण बिहारी त्रिपाठी पनकी में रह रहे हैं। उनके लेखन का सफर 52 वर्षाें से जारी है। उन्होंने पहली कहानी कक्षा 11 में लिखी। यह स्कूल की मैग्जीन में प्रकाशित हुई थी। इस मैग्जीन के लिए उन्होंने दो कहानियां लिखीं। एक में उन्होंने दोस्त का नाम दे दिया। बीए, एमए वीएसएसडी कॉलेज से किया। वहां भी लेखन कार्य जारी रखा। कई लेख हिंदी साहित्य और अन्य मैग्जीन में प्रकाशित हुए। यहां से उन्होंने गंगटोक सिक्किम के किंग्स स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य किया।

1980 से 83 तक ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर के तौर पर कार्यरत रहे। यहां से अबूधाबी के इंडियन स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्त हुए। करीब 40 वर्ष वहां रहने के बाद 29 मार्च 2018 को भारत लौट आए। उनकी कहानियां अधिकतर स्त्री और पुरुष के संबंधों पर आधारित रहती है। वंचित और समाज के कमजोर लोगों के इर्दगिर्द घूमती हैैं। दो हजार से अधिक राजनैतिक लेख, 200 से ज्यादा गीत हैं। अरब वल्र्ड पर 70 कहानियां प्रकाशित करने जा रहे हैं।

 

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE


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