कानपुर देहात: अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 का एकीकृत बार एसोसिएशन ने किया विरोध, आंदोलन की चेतावनी
एकीकृत बार एसोसिएशन, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट माती, कानपुर देहात ने प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

सुनीत श्रीवास्तव, कानपुर देहात: एकीकृत बार एसोसिएशन, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट माती, कानपुर देहात ने प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एसोसिएशन ने बिल में प्रस्तावित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताई है और अधिवक्ताओं की सुरक्षा तथा कल्याणकारी योजनाओं की मांग की है।
एसोसिएशन ने अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35, 35ए, 45बी और 49बी में प्रस्तावित संशोधनों का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह बिल संसद में पेश किया जाता है, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
एसोसिएशन की प्रमुख आपत्तियां:
- अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन से संबंधित प्रावधान बिल में शामिल किए जाएं।
- बार काउंसिल में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त किसी को मनोनीत न किया जाए।
- बार काउंसिल के सदस्यों या उसके अस्तित्व पर प्रस्तावित संशोधन को समाप्त किया जाए।
- प्रत्येक अधिवक्ता के लिए 10 लाख रुपये का मेडिक्लेम और मृत्यु होने पर 10 लाख रुपये की बीमा राशि का प्रावधान किया जाए।
- पंजीकरण के समय अधिवक्ताओं से लिए जा रहे 500 रुपये के स्टाम्प की राशि राज्य बार काउंसिल को वापस की जाए और राज्य सरकार द्वारा विधिक स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त धनराशि का 2 प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाए।
- नियम बनाने का अधिकार वर्तमान एडवोकेट एक्ट के अनुसार ही रखा जाए, केंद्र सरकार द्वारा नियम बनाने का प्रस्ताव समाप्त किया जाए।
एसोसिएशन ने सरकार से प्रस्तावित बिल को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता है, तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
विरोध प्रदर्शन में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिवप्रताप सिंह बंदरिया, कनिष्ठ उपाध्यक्ष उमेश दत्त शुक्ला, महामंत्री देवेंद्र मिश्रा, मंत्री अहीप गौतम, पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष विजय मिश्रा, पूर्व मंत्री ज्योति सिंह राणा, लोकेन्द्र सेंसर, कोषाध्यक्ष मनोज यादव, संयुक्त मंत्री प्रसून सचान, वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य योगेंद्र सिसोदिया सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे। अन्य प्रमुख नामों में विजय मिश्रा, ज्योति सिंह राणा, लोकेन्द्र सेंसर, आलोक सिंह, हरिओम पाल, मधुलता गुप्ता आदि शामिल हैं।
एकीकृत बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यह बिल अधिवक्ताओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। संगठन ने सरकार से मांग की है कि उनकी आपत्तियों पर गंभीरता से विचार करते हुए प्रस्तावित संशोधन बिल को वापस लिया जाए।
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