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कानपुर देहात के रामायणी पंडित रमेशचंद्र मिश्रा का निधन, श्रीरामचरितमानस की जीवंत स्मृति हुई विदा

जनपद कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के ग्राम सरगांव निवासी रामायणी पंडित रमेशचंद्र मिश्रा का आज सुबह उनके निवास पर निधन हो गया। 83 वर्षीय पंडित मिश्रा जन्म से नेत्रहीन थे, लेकिन उनकी असाधारण स्मृति और भक्ति ने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी थी।

Story Highlights
  • 83 वर्षीय मिश्रा की अद्भुत प्रतिभा और भक्ति ने बनाया था सबको उनका मुरीद, बिठूर गंगा घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

सुशील त्रिवेदी, कानपुर देहात। जनपद कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के ग्राम सरगांव निवासी रामायणी पंडित रमेशचंद्र मिश्रा का आज सुबह उनके निवास पर निधन हो गया। 83 वर्षीय पंडित मिश्रा जन्म से नेत्रहीन थे, लेकिन उनकी असाधारण स्मृति और भक्ति ने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दी थी। उन्हें संपूर्ण श्रीरामचरितमानस कंठस्थ थी, और इतना ही नहीं, मानस के प्रत्येक कांड के एक-एक दोहे का नंबर भी उन्हें याद रहता था।

अखंड रामायण पाठ के दौरान जब वे दोहे पढ़ते, तो अन्य लोग पुस्तक में पन्ने पलटकर पाठ की जगह ढूंढते, तब वे स्वयं दोहा नंबर बताते हुए कहते, “अमुक कांड का अमुक नंबर का दोहा निकालो।” उनकी इस अनुपम प्रतिभा को देखकर बड़े-बड़े विद्वान और भक्तजन आश्चर्यचकित हो जाते थे। गौरियापुर स्थित श्रीरामजानकी आश्रम से उनका पुराना जुड़ाव था, जहां पिछले 38 वर्षों से अनवरत चलने वाले श्रीरामचरितमानस के अखंड पाठ में वे नियमित रूप से शामिल होते थे। उनके पाठ को सुनने दूर-दूर से आए भक्त श्रद्धा से नतमस्तक हो जाते थे।

आज उनकी शवयात्रा में गौरियापुर आश्रम के महंत श्रीदेवनारायण दास सहित अनेक संत, संस्कृत महाविद्यालय गौरियापुर के प्राचार्य डॉ. रामनरेश त्रिपाठी, गणेश शुक्ल, राहुल त्रिपाठी, डॉ. राजेश शुक्ल, योगेश्वर नाथ अवस्थी जैसे गणमान्य लोग उपस्थित रहे। उनके शिष्यों में शामिल डीआईओएस ऑफिस कानपुर देहात के लिपिक राकेश पांडेय भी परिवार सहित मौजूद थे। सरगांव के ग्रामीणों, जिनमें भाजपा नेता सुभाष चन्द्र मिश्रा, वागीशजी, रामकिशोर जैसे लोग शामिल थे, ने भी उन्हें अंतिम विदाई दी।

शंख, घंटे और “श्री राम जय राम जय जय राम” के संकीर्तन के बीच उनकी शवयात्रा बिठूर गंगा घाट के लिए रवाना हुई, जहां उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। पंडित रमेशचंद्र मिश्रा के निधन से न केवल उनके गांव बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई है। उनकी स्मृति और भक्ति की यह अनमोल विरासत हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगी।

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

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