पितृ पक्ष में झूमकर बरसे बदरा, अब लेंगे विदाई
पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को भोर पहर से ही बिठूर, सरसैया घाट, मैस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट और गंगा बैराज पर पितरों को विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में स्वजन जुट रहे हैं।

कानपुर, अमन यात्रा । पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को भोर पहर से ही बिठूर, सरसैया घाट, मैस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट और गंगा बैराज पर पितरों को विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में स्वजन जुट रहे हैं।
घाट पर पितरों का स्मरण पूजन करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित कर किए हुए कार्य और पितरों का श्राद्ध पूजन करने के लिए बिठूर और सरसैया घाट पर स्वजनों की लंबी-लंबी कतारे देखने को मिल रही हैं। शहर के गंगा तटों पर कानपुर के साथ आस-पास जिलों के लोग भी तर्पण पूजन के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितृपक्ष में अमावस्या तिथि विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण किया जाता है और फिर पितरों को विदा किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर्मकांड प्राचीन काल से होता रहा है।
इसलिए बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट, रानी लक्ष्मी बाई घाट, मनु घाट और शहर के सरसैया घाट पर पहुंचे स्वजन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जल अर्पित करने के बाद ऋषि देवता और फिर पितरों को जल अर्पित कर रहे हैं। तर्पण पूजन के बाद जल में खड़े होकर स्वजन पितरों से परिवार की सुख-समृद्धि और सर्व कल्याण की प्रार्थना कर रहे हैं।
पूजन अर्चन के बाद घाट पर ही गौ, श्वान, चीटी और देवता के लिए बनाया गया भोज पीपल के वृक्ष के नीचे अर्पित कर रहे हैं। कई स्वजन अपनी सामर्थ के अनुसार जरूरतमंदों को अनाज, छाता और वस्त्र का दान कर पितरों को विदा कर रहे हैं।
रविवार को पितृ विजर्सनी अमावस्या पर उजास सोशल एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा सरसैया घाट पर पूजन कर रहे लोगों में सामग्री का वितरण किया गया। वहीं, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा सामूहिक तर्पण पूजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में स्वजनों ने शामिल होकर पितरों का तर्पण किया।
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