कानपुर, अमन यात्रा । कानपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानपुर कमिश्नरेट में 34 थाने होंगे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के 11 थानों के लिए अलग से कप्तान की नियुक्ति होगी। सरकार के इस फैसले से कानपुर में पुलिस के अधिकारियों के पदों में बढ़ोतरी हो जाएगी, फोर्स की संख्या में भी दोगुने से ज्यादा का इजाफा होगा। मौजूदा समय कानपुर नगर में 45 थाने हैं, जिन्हेंं पूर्वी, पश्चिम, दक्षिण और ग्रामीण चार जोन बांटा गया है। पूर्वी जोन में 12, पश्चिम में 12, दक्षिण में नौ और ग्रामीण में क्षेत्र में 11 थाने हैं। इनमें महिला थाना शामिल नहीं है। अगर लखनऊ मॉडल पर बात करें तो वहां पर आठ थानों पर एक जोन बनाया गया है। इस तरह से कानपुर कमिश्नरेट को चार जोन में बांटे जाने की संभावना है। ऐसे में किन्हीं दो जोन में नौ-नौ थाने भी हो सकते हैं।
अभी तक यह था स्वरूप : अभी तक कानपुर नगर पुलिस में डीआइजी स्तर के आइपीएस अधिकारी के हाथा में जिले की कमान है। चारों जोन में एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी हैं। साथ ही एसपी यातायात, एसपी क्राइम के पद भी हैं। इसके बाद पूर्वी व पश्चिम जोन में चार-चार सॢकल हैं। हर सॢकल में एक सीओ स्तर का अधिकारी तैनात है और प्रत्येक सॢकल में इस समय तीन-तीन थाने हैं। दक्षिण जोन में केवल तीन सॢकल क्षेत्र हैं।
अब यह होगा स्वरूप
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर : लखनऊ और नोएडा में एडीजी स्तर का अधिकारी तैनात है।
संयुक्त आयुक्त या ज्वाइंट कमिश्नर : इनके दो पद होंगे। एक अधिकारी कानून व्यवस्था और दूसरा क्राइम पर काम करेगा। इसके लिए आइजी रैंक के आइपीएस अधिकारी अन्य स्थानों पर तैनात हैं।पुलिस उपायुक्त या डीसीपी: हर जोन में एक आइपीएस अधिकारी होगा। एक तरह से वह उस जोन का कप्तान होगा।
अपर पुलिस उपायुक्त या एडीसीपी: एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारियों की तैनाती होगी। इसमें ट्रेनी आइपीएस व पीपीएस अधिकारी होंगे।
सहायक पुलिस आयुक्त या एसीपी: सीओ स्तर के अधिकारी होंगे, जिनके पास दो से चार थानों का प्रभार होगा।
ग्रामीण क्षेत्र का खाका : कानपुर नगर के ग्रामीण क्षेत्र के 11 थानों के लिए नई व्यवस्था में एक नया कप्तान होगा। यह आइपीएस स्तर का हो सकता है। अभी एडिशनल एसपी स्तर का अधिकारी यहां तैनात है। एसपी ग्रामीण डीआइजी को रिपोर्ट करते हैं जबकि नई व्यवस्था में वह आइजी को रिपोर्ट करेंगे। पुलिस कमिश्नर सीधे डीजीपी को रिपोर्ट करेंगे।
कमिश्नरेट में पुलिस होगी ज्यादा ताकतवर : भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग चार के अंतर्गत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण के अधिकार भी होते हैं। जिला अधिकारी के पद पर आइएएस बैठता है जबकि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में वही सब अधिकार आइपीएस के हाथों में आ जाते हैं। डीएम के बहुत सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पावर भी होती है। सीआरपीसी के तहत कई अधिकार पुलिस कमिश्नर के पद को मजबूत बनाते हैं। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अभी तक डीएम के फैसले का इंतजार रहता था जो अब पुलिस कमिश्नर के पास होगा। मगर, देखना यह है कि सरकार अभी पुलिस कमिश्नर को कितने अधिकार सौंपती है।
ज्यादा अफसर, ज्यादा सुनवाई : एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा पुलिस फोर्स से पुलिस कमिश्नर प्रणाली में अधिकारियों व फोर्स की संख्या में दोगुना वृद्धि हो जाएगी। जनता सीधे उच्चाधिकारियों तक पहुंचेगी और उनकी समस्याओं का जल्द ही निस्तारण किया जाएगा।
देश में 100 से ज्यादा शहर में लागू है पुलिस कमिश्नर प्रणाली: पुलिस कमिश्नर प्रणाली अंग्रेजों की देन है जो उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के कई महानगरों में लागू थी। अनुमान के मुताबिक दिल्ली, मुंबई सहित देश के 100 से ज्यादा महानगरों में इस समय पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है।
बोले अधिवक्ता
- कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून व्यवस्था में व्यापक बदलाव आएगा। विधिक व्यवस्था में छोटी जरूरतों के लिए प्रशासनिक अफसरों से अनुमति का इंतजार नहीं करना होगा। सुरेश सिंह चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता
- यह पुलिस का विकेंद्रीकरण है। पुलिस कमिश्नर को सीआरपीसी के भी कई अधिकार प्राप्त हो जाएंगे। कानून व्यवस्था के लिए पुलिस कमिश्नर किसी को भी प्रतिबंधित कर सकेंगे। अजय भदौरिया, अधिवक्ता
- गुंडा एक्ट, गैंगस्टर और आम्र्स अधिनियम में अभियोग चलाने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेनी पड़ती है। कमिश्नर प्रणाली में अनुमति नहीं लेनी होगी। शिवाकांत दीक्षित, अधिवक्ता
- शांतिभंग में पाबंद करने के साथ छोटे मामलों में जमानत देने का अधिकार भी पुलिस के पास होगा। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।