कानपुर: निगोहा आयुष अस्पताल में डीएम का औचक निरीक्षण, मिलीं उत्कृष्ट व्यवस्थाएं
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज चौबेपुर ब्लॉक के निगोहा स्थित 50 बिस्तरों वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय का अचानक दौरा किया।

- असाध्य रोगों में संजीवनी बन रहा आयुष, अनुपस्थित कर्मचारियों पर गिरी गाज
कानपुर नगर: जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज चौबेपुर ब्लॉक के निगोहा स्थित 50 बिस्तरों वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय का अचानक दौरा किया। उन्होंने अस्पताल में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं, दवाओं की उपलब्धता, साफ-सफाई और मरीजों को दी जा रही सुविधाओं का गहनता से जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान ओपीडी रजिस्टर की जांच की गई, जिसमें कुल 159 मरीज (120 नए और 39 पुराने) दर्ज पाए गए। अस्पताल में कुल 34 स्टाफ सदस्य मौजूद थे, जिनमें आयुर्वेद, होम्योपैथिक और यूनानी पद्धति के 7 डॉक्टर शामिल हैं, जो मरीजों का इलाज कर रहे थे। हालांकि, दो कर्मचारी अनुपस्थित मिले, जिनका वेतन रोकने का तत्काल आदेश जिलाधिकारी ने दिया।
डीएम ने पैथोलॉजी विभाग का भी निरीक्षण किया और वहां उचित साफ-सफाई बनाए रखने के निर्देश दिए। अस्पताल में भर्ती मरीज शत्रुघ्न से जिलाधिकारी ने उनके इलाज के बारे में पूछा, जिस पर मरीज ने गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिलने पर संतोष व्यक्त किया। जिलाधिकारी ने अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए।
चिकित्सालय में कार्यरत डॉ. रचना त्रिपाठी ने जिलाधिकारी को बताया कि यह अस्पताल कई असाध्य रोगों का आयुर्वेदिक, प्राकृतिक और पंचकर्म पद्धति से उपचार करता है। उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 200 मरीजों के असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है।
जिलाधिकारी ने अस्पताल की व्यवस्था, चिकित्सा पद्धतियों और स्वच्छता की तारीफ की। उन्होंने निर्देश दिए कि आयुष चिकित्सा पद्धति के बारे में आम जनता को जागरूक करने के लिए जनभागीदारी बढ़ाई जाए और गांव-गांव में इसका प्रचार-प्रसार किया जाए। अस्पताल की ओपीडी प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलती है, जहां मरीजों को बेहतर इलाज मिल रहा है।
इसके अतिरिक्त, जिलाधिकारी ने दिलीपनगर क्षेत्र में स्थित एक अन्य 50 बिस्तरों वाले आयुष चिकित्सालय का भी निरीक्षण किया, जहां उन मरीजों को राहत मिली है जिन्हें एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से कोई फायदा नहीं हो रहा था। आयुर्वेदिक उपचार, खासकर पंचकर्म थेरेपी, ऐसे मरीजों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि अगर ऐसे अस्पतालों को सही तरीके से चलाया जाए और लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाए, तो यह वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में एक मजबूत विकल्प बन सकता है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए।
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