कानपुर नगर: रंगों के त्योहार होली ने आज कानपुर के स्पास्टिक केंद्र में एक ऐसा अद्भुत नजारा पेश किया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यहाँ, दिव्यांग बच्चों ने अपनी प्रतिभा का ऐसा अनूठा प्रदर्शन किया कि हर कोई देखता रह गया। ब्रज की होली के रंगों में रंगे इन बच्चों ने अपनी कला और उत्साह से समां बांध दिया।
पार्थ की बांसुरी ने मोहा मन, बृज की होली पर झूमे दर्शक
कार्यक्रम की शुरुआत जूनियर कक्षा के छात्र पार्थ श्रीवास्तव की बांसुरी वादन से हुई। पार्थ ने ‘बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी’ की धुन बजाकर सबका मन मोह लिया। उनकी उंगलियों ने बांसुरी पर ऐसा जादू चलाया कि हर कोई झूम उठा। पार्थ एक कुशल तबला वादक भी हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। इसके बाद, सीनियर दिव्यांग छात्रों ने ‘बृज की होली’ पर एक जीवंत नृत्य प्रस्तुत किया। उनके कदमों की थिरकन और चेहरे के भावों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
राधा-कृष्ण के रूप में सजे बच्चे, होली के गीतों पर झूमे सब
प्री-स्कूल के बच्चों ने भी अपनी नृत्य कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने राधा-कृष्ण और उनके भक्तों के बीच के प्रेम को अपने नृत्य में दर्शाया। बच्चों ने ‘होरी खेले रघुवीरा अवध में- होरी खेले रघुवीरा’ और ‘होली आई रे रंग बिरंगी होली आई रे’ जैसे गीतों पर जमकर नृत्य किया। दिव्यांग तरुण ने भी अपनी नृत्य कला से दर्शकों का मनोरंजन किया। कार्यक्रम का समापन बच्चों द्वारा गाए गए गीत ‘मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, होगी शांति चारों ओर’ के साथ हुआ, जिसने सभी के दिलों को छू लिया।
जिलाधिकारी ने दिया बच्चों को आशीर्वाद, माता-पिता ने भी मनाया जश्न
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी श्रीमती रश्मि सिंह के साथ बच्चों को होली के कपड़े, रंग और पिचकारी भेंट की। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और उन्हें उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। श्रीमती रश्मि सिंह ने भी बच्चों का हौसला बढ़ाया और उनकी प्रतिभा की सराहना की।
इस अवसर पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि ये दिव्यांग बच्चे, जिन्हें हम ‘स्पेशल चिल्ड्रन’ भी कहते हैं, अलग-अलग विशेष प्रतिभाओं से भरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की आंखों में आशा, चुनौतियां, अवसर और जश्न सब कुछ है। उन्होंने बच्चों के अभिभावकों की भी सराहना की, जिन्होंने जिम्मेदारी के साथ इन बच्चों का पालन-पोषण किया और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया।
कार्यक्रम को और भी खास बनाते हुए, दिव्यांग बच्चों के माता-पिता ने भी अंताक्षरी कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और बच्चों का उत्साह बढ़ाया।
यह कार्यक्रम न केवल दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा का प्रदर्शन था, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि हर बच्चे में कुछ खास होता है, और हमें उनकी प्रतिभा को पहचानने और उसे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
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