कानपुर

कानपुर सेंट्रल पर बिछुड़ी अनुष्का, नौ दिन बाद पिता-भाई से मिलकर मुस्कुराया परिवार

देवरिया जनपद की 14 वर्षीय अनुष्का सिंह के लिए कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर पानी लेने उतरना एक बुरे सपने जैसा बन गया। महाराष्ट्र जा रही ट्रेन से पानी लेने के लिए वह प्लेटफॉर्म पर उतरी और इसी बीच ट्रेन चल पड़ी।

कानपुर: देवरिया जनपद की 14 वर्षीय अनुष्का सिंह के लिए कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर पानी लेने उतरना एक बुरे सपने जैसा बन गया। महाराष्ट्र जा रही ट्रेन से पानी लेने के लिए वह प्लेटफॉर्म पर उतरी और इसी बीच ट्रेन चल पड़ी। परिवार आगे निकल गया और अनुष्का स्टेशन पर ही छूट गई। नौ दिन बाद, मंगलवार को जिला प्रशासन की मानवीय पहल से अनुष्का अपने पिता और भाई से मिली, तो सबकी आंखें खुशी से भर आईं।


कानपुर सेंट्रल पर छूटी थी अनुष्का

 

यह घटना 14 जुलाई की है। अनुष्का अपने परिजनों के साथ देवरिया के बरियारपुर क्षेत्र से मुंबई जा रही थी। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन रुकने पर वह पानी लेने के लिए नीचे उतरी, लेकिन इसी दौरान ट्रेन चल दी। अनुष्का ने ट्रेन पकड़ने की बहुत कोशिश की, पर असफल रही और थककर वहीं रोने लगी।


जीआरपी और चाइल्ड हेल्पलाइन बनी सहारा

 

स्टेशन पर तैनात जीआरपी जवानों ने अनुष्का को अकेला रोते देख तुरंत मदद की। पूछताछ में जब बच्ची ठीक से कुछ बता नहीं पाई, तो चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दी गई। नियमानुसार उसे राजकीय बालगृह (बालिका) यूनिट–2, नवाबगंज, कानपुर नगर भेज दिया गया।


विधायक की पहल, जिलाधिकारी का हस्तक्षेप

 

उधर, अनुष्का के परिजन ट्रेन के अगले स्टेशनों पर उसे ढूंढते रहे। जब उन्हें पता चला कि वह कानपुर में है, तो उसे वापस लाने की कोशिशें तेज कर दीं। देवरिया के रामपुर कारखाना से विधायक सुरेंद्र चौरसिया को जब मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने जिलाधिकारी कानपुर नगर जितेंद्र प्रताप सिंह से बात की और बालिका को जल्द परिजनों से मिलवाने का अनुरोध किया।


दस्तावेजों की जांच के बाद हुई सुपुर्दगी

 

जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। राजकीय बाल गृह के नियमों के अनुसार, परिजनों के आने पर ही बच्चों को सुपुर्द किया जाता है। मंगलवार को बाल कल्याण समिति ने परिजनों के सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद बच्ची को विधिवत परिवार को सौंप दिया।


भावुक हुआ परिवार, जताया आभार

 

जब अनुष्का अपने पिता सुरेंद्र सिंह और भाई हर्षित को देखकर दौड़ी और गले लग गई, तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। पिता सुरेंद्र सिंह ने भावुक होकर कहा, “हम सबके लिए ये नौ दिन किसी युग से कम नहीं थे। बेटी के बिना एक-एक पल भारी लग रहा था। कानपुर नगर जिला प्रशासन ने जो मदद की, उसके लिए हम हमेशा आभारी रहेंगे।”

Author: aman yatra

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