कामचलाऊ सपोर्टिव सुपरविजन के चलते डीजीएसई की निगाह में चढ़े एआरपी एसआरजी और डायट मेंटर, स्पष्टीकरण तलब
परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए सपोर्टिव सुपरविजन की व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत एआरपी, एसआरजी व डायट मेंटर को स्कूलों में कम से कम दो घंटे का समय दिया जाना निर्धारित है।

- डायट मेंटर, एसआरजी व एआरपी द्वारा स्कूलों के यूनिक विजिट में कम समय देने के लिए जवाब तलब
अमन यात्रा, कानपुर देहात। परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए सपोर्टिव सुपरविजन की व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत एआरपी, एसआरजी व डायट मेंटर को स्कूलों में कम से कम दो घंटे का समय दिया जाना निर्धारित है।
इस दौरान स्कूल में मॉडल टीचिंग करने के साथ ही निपुण भारत मिशन से जुड़ी जानकारियों को साझा करना होता है। पढ़ने व पढ़ाने में सहायक विभिन्न एप के बारे में शिक्षकों को जानकारी देनी होती है। स्कूल में रूकने के दौरान उनकी लोकेशन पोर्टल पर दर्ज होती है। पोर्टल पर जुलाई माह की समीक्षा करते हुए राज्य परियोजना कार्यालय ने दो घंटे से कम का समय देने वाले एआरपी, एसआरजी व डायट मेंटर्स से स्पष्टीकरण मांगा है।
प्रत्येक माह का टारगेट है निर्धारित- परिषदीय स्कूलों में सपोर्टिव सुपरविजन के लिए एआरपी व डायट मेंटर के साथ एसआरजी को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत एक माह में एआरपी को कम से कम तीस स्कूलों को सपोर्टिव सुपरविजन प्रदान करना होता है। वहीं डायट मेंटर को एक माह में कम से कम दस स्कूलों में और स्टेट रिसोर्स पर्सन (एसआरजी) को कम से कम 20 स्कूलों में सपोर्टिव सुपरविजन देना होता है।
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