गीत

काले बादलों को देख के मन डर गया है।

काले बादलों को देख के मन डर गया है। मैं हूं अकेली,पिया शहर गया है। तड़पती हूं तड़पाता है ये सावन आग लगाता है।

काले बादलों को देख के मन डर गया है।

मैं हूं अकेली,पिया शहर गया है।
तड़पती हूं तड़पाता है
ये सावन आग लगाता है।
मुझे अपना याद आता है
उन बिन रहा न जाता है।
वो कुछ ऐसा जादू कर गया है
मैं हूं अकेली पिया शहर गया है।
काले बादलों ……..
ये प्यासा सावन गुजर न जाए।
तेरी याद में कोई मर न जाए।
तू वादा करके मुकर न जाए।
कई सालों तक घर न आए।
कल का दिन कैसे बीतेगा
आज का दिन तो गुजर गया है।
मैं हूं अकेली पिया शहर गया है।
काले बादलों को देख के मन डर गया है।
(गीतकार अनिल कुमार दोहरे)
Author: aman yatra

aman yatra

Recent Posts

“शिकायतें कीं, चिट्ठियाँ भेजीं… लेकिन पुलिया अब भी टूटी है”

पुखरायां कस्बा के शास्त्रीनगर मोहल्ले में मिश्रा दूध डेयरी के पास स्थित क्षतिग्रस्त पुलिया राहगीरों…

3 days ago

प्रोजेक्ट नई किरण में आए 42 मामले,05 परिवारों में पति पत्नी खुशी खुशी साथ रहने को तैयार

कानपुर देहात के पुलिस लाइन स्थित सभागार कक्ष में रविवार को प्रोजेक्ट नई किरण की…

4 days ago

बड़ी संख्या में निरीक्षकों उपनिरीक्षकों में किया फेरबदल

पुखरायां।कानपुर देहात में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए पुलिस अधीक्षक अरविंद मिश्रा…

5 days ago

महिला संबंधी अपराध पर पुलिस की बड़ी कार्यवाही

पुखरायां।कानपुर देहात में अपराध नियंत्रण की दिशा में महिला संबंधी अपराध पर अंकुश लगाने हेतु…

3 weeks ago

This website uses cookies.