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अमन यात्रा, कानपुर। एक अप्रैल से स्कूलों के नवीन शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो रही है जिसने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि बच्चों की किताबों और स्टेशनरी के बढ़े हुए दाम पिछले सालों के मुकाबले इस बार काफी अधिक हैं।
किताबों के सेट और स्टेशनरी में करीब 24 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है जबकि अभी स्कूल ड्रेस, फीस आदि बाकी हैं। ऐसे में बच्चों की किताबें लेने बुक सेलर के पास पहुंच रहे अभिभावकों के चेहरों पर अप्रैल माह में बढ़े हुए खर्च को लेकर शिकन साफ देखी जा सकती है। सरकारी फरमान के बाद शहर के निजी स्कूलों ने खुद तो किताब, स्टेशनरी, स्कूल यूनिफार्म आदि बेचना भले ही बंद कर दिया हो लेकिन उन्होंने शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में दुकानों को तय कर रखा है। किताबों के सेट के नाम पर किताबों के साथ ही रिफरेंस बुक, कापियां, किताबों पर चढ़ाने वाली जिल्द, वर्कबुक आदि को एक साथ हजारों रुपये में बेचा जा रहा है। किसी भी एक विषय की एक किताब दुकानों पर मिलना लगभग नामुमकिन होता है। सभी दुकानदार पूरा सेट एक साथ ही देते हैं। ऐसे में अभिभावकों को मजबूरी में बच्चों के लिए पूरे सेट की किताबों को लेना मजबूरी हो जाती है। किताबों की कुछ दुकानों पर छूट के नाम पर किताबों पर चढ़ने वाली जिल्द दे देते हैं। यह हाल शहर के लगभग सभी निजी स्कूलों का है। इसमें बड़ा खेल कमीशन बाजी का होता है।
यह दुकानदार स्कूलों को मोटा कमीशन देते हैं। स्टेशनरी और अलग-अलग कक्षाओं की किताबों के सेट के अलावा भी दुकानदारों के यहां लगी सूची में अलग-अलग किताबों और प्रैक्टिस बुक की लिस्ट भी कक्षावार शामिल की गई है। इसमें प्री राइटिंग बुक, हिंदी प्रवेश ईवीएस डब्ल्यूबी, इंग्लिश डब्ल्यूवी, लिटिल आर्ट, एक्टिविटी, जीओ क्रिएटिव, वैल्यूम, मेंटल मैथ, कंप्रिनसन, गणित, भूगोल समेत अन्य किताबों को शामिल किया गया है। सेट के अलावा इन किताबों को लेना अभिभावकों की मजबूरी है क्योंकि यह किताबें अन्य कहीं मिलती भी नहीं है।
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