अपना देश

किसान आंदोलन के चलते रुकी सड़क खोलने पर SC ने हरियाणा और यूपी को भी बनाया पक्ष

किसान आंदोलन के चलते रुकी सड़क खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और यूपी को भी पक्ष बनाया है. अदालत ने कहा कि यह सुनवाई सिर्फ जाम हटाने पर है.

नोएडा की रहने वाली मोनिका ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह एक कंपनी में मार्केटिंग से जुड़ा काम करती हैं. इस सिलसिले में उन्हें कई बार दिल्ली आना पड़ता है. पिछले लंबे अरसे से 20 मिनट का सफर तय करने में 2 घंटे लग रहे हैं. वह एक अकेली मां है और उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ दिक्कतें भी हैं. इस वजह से उनकी तकलीफ और ज्यादा बढ़ जा रही है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता ने दिल्ली से नोएडा आने-जाने में हो रही दिक्कत का हवाला दिया है. लेकिन आज कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा से लगी दिल्ली की कुछ और सीमाओं को भी किसान आंदोलनकारियों ने रोक रखा है. दिल्ली सरकार के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि मामले में हरियाणा और यूपी को भी पक्ष बनाया जाना चाहिए इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दोनों राज्यों को भी पक्षकार बना लिया.

मामला सुनवाई के लिए जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा था. इससे पहले जस्टिस कौल की बेंच ने ही शाहीन बाग मामले पर फैसला दिया था. उस फैसले में कहा गया था कि आंदोलन के नाम पर किसी सड़क को लंबे समय के लिए रोका नहीं जा सकता है. धरना-प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम प्रशासन की तरफ से तय की गई जगह पर ही होने चाहिए.

जस्टिस हेमंत गुप्ता के साथ बेंच में बैठे जस्टिस कौल ने यह साफ किया कि उनकी सुनवाई सिर्फ इस सीमित मसले पर है कि दिल्ली में आने और दिल्ली से जाने वाली सड़क पर यातायात खोल दिया जाए. मामले के विस्तृत पहलू यानी कृषि कानून की वैधता पर उनकी बेंच सुनवाई नहीं करेगी. गौरतलब है कि कृषि कानूनों का मसला पहले से चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच के पास लंबित है. उस पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है .

AMAN YATRA
Author: AMAN YATRA

SABSE PAHLE

Related Articles

AD
Back to top button