कैशलेस इलाज सुविधा प्रदान करने में योगी सरकार ने दोहरा मानदंड अपनाया है: शिक्षक कर्मचारी महासंघ
कानपुर देहात जिलाध्यक्ष राजेश कुमार पांडेय ने कहा है कि मोदी सरकार की दोहरी नीति को लेकर कर्मचारी वर्ग निराश है।

- योगी सरकार का फैसला: सरकार ने शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी।
- शिक्षकों ने सराहना की: शिक्षक कर्मचारी महासंघ ने इस कदम का स्वागत किया।
- दोहरा मानदंड: महासंघ ने आरोप लगाया कि शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को इस सुविधा से बाहर रखा गया।
- निराशा का भाव: कर्मचारियों में योगी सरकार की इस "दोहरी नीति" को लेकर नाराजगी।
- पुनर्विचार की मांग: महासंघ ने सरकार से शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी शामिल करने की अपील की।
सुशील त्रिवेदी,कानपुर देहात : उत्तर प्रदेश शिक्षक कर्मचारी महासंघ की ओर से योगी सरकार द्वारा दिए गए कैशलेस इलाज के तोहफे की सराहना की गई है लेकिन उनके मन में निराशा का भाव भी उत्पन्न हुआ है कि उक्त सुविधा प्रदान करने की घोषणा के साथ माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत अल्प वेतन भोगी कर्मचारी क्यों वंचित रखे गए हैं।
कर्मचारी नेताओं में प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तम शुक्ला ने कहा है कि कर्मचारियों को लेकर मोदी सरकार की उपेक्षा समझ से परे है। कानपुर देहात जिलाध्यक्ष राजेश कुमार पांडेय ने कहा है कि मोदी सरकार की दोहरी नीति को लेकर कर्मचारी वर्ग निराश है। उनका कहना है कि मुफ्त इलाज की सुविधा देते समय अनुदेशक और आंगनबाड़ी गिनती में रह सकते हैं तो कर्मचारी जिनकी संख्या माध्यमिक विद्यालयों में 5-7 तक सीमित रह गई है, गणना से बाहर कर दिए गए हैं।
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इस सम्बन्ध में कर्मचारी महासंघ के कानपुर देहात महा मंत्री अजय प्रताप सिंह ने कहा है कि सरकार का निर्णय तो स्वागत योग्य है किन्तु सुविधा प्रदान करने की घोषणा के समय अल्पसंख्यक और अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को भुला देना न्याय संगत नहीं है। इस सम्बन्ध में सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए और शासनादेश निर्गत करते समय उन्हें भी शामिल किया जाना चाहिए।
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